
वाशिंगटन, 10 नवंबर (हि.स.)। अमेरिका द्वारा कभी आतंकवादी घोषित किए गए पूर्व विद्रोही नेता और वर्तमान समय में सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहली बार यहां मुलाकात करेंगे । किसी भी सीरियाई राष्ट्राध्यक्ष का व्हाइट हाउस का यह पहला दौरा होगा।
अल-शारा के सिर पर अमेरिका ने कभी 10 अरब डॉलर का इनाम रखा था।
मीडिया खबराें के मुताबिक मुलाकात के दौरान उम्मीद की जा रही है कि अल-शारा 88 अन्य देशों के साथ गठित उस वैश्विक गठबंधन में शामिल होने पर सहमति दे सकते हैं, जो इस्लामिक स्टेट (आईएस) को हराने के लिए गठित किया गया है। आईएस अभी भी सीरिया में सक्रिय है और क्षेत्रीय खतरा बना हुआ है।
इस बीच अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “यह मुलाकात सीरिया की स्थिरता और क्षेत्रीय शांति के लिए सहयोग को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है।”
ट्रंप प्रशासन ने इस कदम को “व्यावहारिक कूटनीति” का उदाहरण बताया है, जो पश्चिम एशिया में बदलते समीकरणों को दर्शाता है। अल शारा की अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ यह मुलाकात सीरिया को अंतरराष्ट्रीय निवेश और सहायता प्राप्त करने में मदद कर सकती है, जो उसके लिए गृहयुद्ध के बाद की तबाही से उबरने के लिए आवश्यक है।
अल-शारा ने पिछले साल दिसंबर में एक विद्रोही गठबंधन का नेतृत्व कर बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंका था, जिससे असद परिवार के 50 वर्ष से अधिक के 'क्रूर' शासन का अंत हाे गया था। अब वह खुद काे एक राजनेता के ताैर पर पेश करते हुए सीरिया के पुनर्निमाण में जुटे हुए हैं।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया के पुनर्निर्माण की लागत लगभग 216 अरब डॉलर आंकी गई है। अमेरिका पहुंचने से पहले अल-शारा ने खाड़ी देशों का दौरा कर अंतरराष्ट्रीय निवेश जुटाया है। सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को लगभग साठ सालाें के लंबे अतंराल के बाद संबोधित करने वाले वह सीरिया के पहले राष्ट्रपति बने हैं। अक्टूबर में वह रूस में मॉस्को जाकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिल चुके हैं , जहां तेल क्षेत्रों के विकास और ऊर्जा, परिवहन तथा पर्यटन परियोजनाओं पर चर्चा हुई। इससे पहले रूस ने असद का समर्थन किया था।
समझा जाता है कि यदि यह वार्ता सफल रही, तो आईएस जैसे आतंकी संगठनों का प्रभावी ताैर पर खात्मा किया जा सकेगा, साथ ही सीरिया की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में भी इससे सहायता मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने इस मुलाकात का स्वागत किया है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों ने अल-शारा के युद्ध अपराधों की जांच की मांग की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल