जापानी प्रधानमंत्री के ताइवान संबंधी दावों पर चीन की कड़ी आलोचना जारी, विदेश मंत्रालय ने जताई नाराजगी

युगवार्ता    12-Nov-2025
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चीन और जापान के राष्ट्राध्यक्षाें की फाइल फाेटाें


बीजिंग, 12 नवंबर (हि.स.)। जापान के प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची द्वारा ताइवान पर दिए गए विवादास्पद बयानों ने चीन-जापान संबंधों में खटास पैदा कर दी है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में इन ‘गलत बयानों’ की कड़ी निंदा की है और जापान के साथ इस बाबत कड़ा विरोध दर्ज कराया है। मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि ताकाइची के ये बयान चीन के आंतरिक मामलों में ‘घोर हस्तक्षेप’ हैं और ‘एक चीन’ सिद्धांत का स्पष्ट उल्लंघन करते हैं।

ताकाइची ने शुक्रवार को देश की संसद में ताइवान पर चीन के संभावित हमले को जापान के लिए ‘अस्तित्व का खतरा’ करार दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जापान अपने ' सामूहिक आत्मरक्षा' अधिकार का प्रयोग कर सकता है, जो ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य हस्तक्षेप का संकेत देता है।

लिन जियान ने प्रेस वार्ता में इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ये टिप्पणियां ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य हस्तक्षेप की संभावना का इशारा करती हैं, जो चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि ताइवान चीन का अभिन्न अंग है और इसका समाधान चीन का आंतरिक मामला है, जिसमें बाहरी ताकतों का कोई हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं।

ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब चीन, जापान के खिलाफ युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ और ताइवान के चीन में वापसी की 80वीं वर्षगांठ मना रहा है। लिन ने इसे ‘युद्धोत्तर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर उकसावा’ बताया, जो चीन-जापान के बीच 'राजनीतिक दस्तावेजों' की भावना और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, “ये बयान जापानी सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के लिए असंगत हैं और इनके स्वरूप एवं प्रभाव अत्यंत गंभीर हैं।”

इस बीच

राजनीतिक हलकों और मीडिया में भी ताकाइची के बयानों पर आलोचना का दौर जारी है। चीनी राजनयिकों ने इन्हें ‘प्रमुख हितों को चुनौती’ बताते हुए जापान को चेतावनी दी है। कुछ जापानी राजनीतिक आंकड़ों और मीडिया ने भी इसे संबंधों के लिए हानिकारक बताया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ जापानी राजनेताओं और मीडिया द्वारा की जाने वाली ये टिप्पणियां जनमत को भ्रमित करने और ध्यान भटकाने का प्रयास हैं।

लिन ने जोर देकर कहा, “चीन अंततः एकीकरण हासिल कर लेगा, और एकीकरण अपरिहार्य है।” उन्होंने चीनी लोगों की ‘दृढ़ इच्छाशक्ति, पूर्ण विश्वास और पर्याप्त क्षमता’ का हवाला देते हुए कहा कि वे सभी बाधाओं को विफल करने के लिए तैयार हैं।

चीन ने जापान से आग्रह किया है कि वह तत्काल उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करे, उकसावे और अतिचार से बचे और 'गलत' रास्ते पर आगे न बढ़े। दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हैं, लेकिन वर्तमान राजनीतिक मतभेद संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल

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