आदिवासियों के हाथों निर्मित वस्तुओं का निर्यात बढ़ाएगी केंद्र सरकार : पीयूष गोयल

युगवार्ता    12-Nov-2025
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यशोभूमि में जनजातीय व्यापार सम्मेलन-2025 को संबोधित करते हुए पीयूष गोयल


यशोभूमि में जनजातीय व्यापार सम्मेलन-2025 में पीयूष गोयल


यशोभूमि में जनजातीय व्यापार सम्मेलन-2025 के दौरान पीयूष गोयल


यशोभूमि में जनजातीय व्यापार सम्मेलन-2025 के दौरान पीयूष गोयल


नई दिल्‍ली, 12 नवंबर (हि.स)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि सरकार आदिवासियों के हाथों निर्मित वस्तुओं का निर्यात बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। उन्‍होंने कहा कि भारत के अलावा विदेश के बाजारों तक जनजातीय समाज की चीजों को पहुंचाने का काम हम आगे बढाएंगे।

केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री यशोभूमि में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्मजयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव दिवस के तहत जनजातीय व्यापार सम्मेलन-2025 के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। वाणिज्‍य मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए धन आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि की है। गोयल ने आदिवासी व्यापार सम्मेलन में आदिवासी उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि आपके उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक योजना पर काम चल रहा है। चाहे ई-कॉमर्स के माध्यम से हो या अंतरराष्ट्रीय गोदाम बनाकर, ताकि आपके उत्पाद वहां प्रदर्शित हो सकें, आपके उत्पाद वहां उपलब्ध हो सकें और लो आकर उन्हें खरीद सकें।

पीयूष गोयल ने अपने संबोधन में यह भी सुझाव दिया कि उद्यमी उन वस्तुओं की पहचान करें, जिन्हें भौगोलिक संकेतक (जीआई) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं को 10 वर्षों के लिए कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है। अब जीआई टैग की फीस को 80 फीसदी कम कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि जिस किसी वस्तु को जीाआई टैग मिल सकता है, उसे हमें छोड़ना नहीं चाहिए।

वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार, जनजातीय समाज को समृद्ध बनाने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। उन्‍होंने कहा क‍ि जनजातीय गौरव दिवस के तहत आयोजित बिज़नेस कॉन्क्लेव के माध्यम से इस क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहन देते हुए यहां के इतिहास और संस्कृति के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

यशोभूमि में संपन्न हुए जनजातीय व्यापार सम्मेलन का उद्देश्य जनजातीय उद्यमिता को मजबूत करना और समावेशी वृद्धि को गति देना था। डीपीआईआईटी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में जनजातीय क्षेत्रों में उद्यम-आधारित विकास को गति देने पर एक दिवसीय संवाद के लिए 250 से अधिक जनजातीय उद्यमियों को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में एमएसएमई, कौशल विकास एवं उद्यमिता, वस्त्र, कृषि और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालयों की सक्रिय भागीदारी रही। इस मौके पर जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि सरकार इन उद्यमियों के विकास के लिए काम करने को प्रतिबद्ध है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

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