
नैनीताल, 13 नवंबर (हि.स.)। वर्ष 1965 से प्रस्तावित तराई-भावर क्षेत्र को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए गौला नदी पर जमरानी बांध परियोजना लगभग 60 वर्षों से लंबित रहने के बाद अब फिर से गति पकड़ रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा में परियोजना को शामिल कराने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयास व केंद्रीय स्तर पर क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट की पैरवी आखिरकार निर्णायक सिद्ध हुई है। परियोजना के पुनर्जीवित होने से भावर क्षेत्र में दशकों से चली आ रही पेयजल समस्या के स्थाई समाधान की आशा मजबूत हुई है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए भी बहुउपयोगी साबित होने वाले जमरानी बांध का निर्माण गौला (गार्गी) नदी पर काठगोदाम से 10 किमी ऊपर छोटा कैलास की घाटी में विश्वप्रसिद्ध हैड़ाखान बाबा के आश्रम के पास जमरानी ग्राम क्षेत्र में होना है। वर्ष 1965 में यहां 130.60 मीटर ऊंचाई के बांध के निर्माण की पत्रावली शुरू हुई थी। हालांकि 10 वर्ष बाद वर्ष 1975 में तत्कालीन केंद्रीय जल ऊर्जा मंत्री कृष्ण चंद्र पंत ने औपचारिक तौर पर इसका प्रस्ताव तैयार करवाया, और 1976 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से स्वीकृति दिलाकर शिलान्यास कराया। किन्तु तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी गौला नदी पर बांध निर्माण के विरोध में रहे। उनका तर्क था कि तराई क्षेत्र के पूर्ववर्ती जलाशय बरसाती नदियों पर बने हैं, जबकि गौला बारहमासी नदी है।
प्रस्तावित बांध का निर्माण होने पर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की करीब 90 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होने का अनुमान है। इसके अलावा बांध के साथ जल विद्युत परियोजना भी बननी प्रस्तावित है, जिससे करीब 30 मेगा वाट बिजली का उत्पादन भी हो सकेगा। साथ ही बांध के जलाशयों में 144.30 मिलियन घन मीटर जल संग्रहित होना है।
लगभग 35 वर्ष पूर्व इस बांध की मांग को लेकर जमरानी बांध संघर्ष समिति का गठन किया गया था, जिसमें उस समय हल्द्वानी के वर्तमन विधायक बंशीधर भगत अध्यक्ष रहे। किसान नेता नवीन दुम्का ने भी गांव-गांव जाकर मांग को जनसमर्थन दिलाया। भावर क्षेत्र वर्षों से जल संकट झेलता रहा, ऐसे में इस आंदोलन को व्यापक सहयोग मिला। समिति ने एक सप्ताह तक धरना दिया और हल्द्वानी बाजार में बड़े जुलूस का आयोजन किया, जिसमें किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों सहित शामिल हुए। यह आंदोलन भावर क्षेत्र की पेयजल आवश्यकता की प्रतीक आवाज बन गया।
डबल इंजन सरकार में मिली नई दिशा
भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना को पुनः आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 नवम्बर 2025 को एक बार फिर इसका शिलान्यास किया। इससे पूर्व वे हल्द्वानी में इसके निर्माण का वायदा कर चुके थे। शिलान्यास के बाद निर्माण कार्य तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। लगभग 3808 करोड़ रुपये की लागत से बन रही इस परियोजना को वर्ष 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है और वर्तमान में गौला नदी के प्रवाह को मोड़ने हेतु सुरंग निर्माण प्रारंभ कर दिया गया है।
परियोजना के प्रबंधक उमेश अग्रवाल के अनुसार अभी 60 अभियंता और लगभग 150 कर्मी कार्य में लगे हैं। उन्होंने बताया कि बांध के बन जाने से भावर क्षेत्र सहित उत्तर प्रदेश के बरेली जिले को भी दीर्घकालिक पेयजल उपलब्ध होगा। यह परियोजना आने वाली पीढ़ियों के लिए जल-सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जमरानी बांध परियोजना प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा में शामिल होते ही उसका मार्ग प्रशस्त हो गया था और अब युद्ध गति से काम शुरू हो चुका है। उनके अनुसार इसके पूरा होने से तराई-भावर और बरेली जनपद की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान होगा। उन्होंने कहा कि बांध से बनने वाली विशाल झील पर्यटन विकास को गति देगी और क्षेत्र में युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी