
नई दिल्ली, 13 नवंबर (हि.स.)। देश के गांवों को ज्ञान और नवाचार से सशक्त बनाने वाले उन्नत भारत अभियान (यूबीए) ने अपने 11 वर्षों की उपलब्धियों के साथ एक नया अध्याय रचा है। शिक्षा मंत्रालय की इस प्रमुख पहल ने ग्रामीण भारत को उच्च शिक्षण संस्थानों से जोड़कर विकास का जीवंत मॉडल प्रस्तुत किया है। बीते मंगलवार को आईआईटी दिल्ली में आयोजित स्थापना दिवस समारोह के बाद अब देशभर के 22 हजार गांवों में कार्यक्रमों की शृंखला जारी है, जिनमें ग्रामीण नवाचार, कौशल प्रशिक्षण और आत्मनिर्भरता के नए प्रयोग सामने आ रहे हैं।
उन्नत भारत अभियान की शुरुआत 11 नवंबर 2014 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा की गई थी और तब से आईआईटी दिल्ली इसका राष्ट्रीय समन्वयक संस्थान बना हुआ है। इस अभियान के तहत 4,600 से अधिक भागीदारी संस्थान ग्रामीण समुदायों के साथ मिलकर स्थानीय चुनौतियों के समाधान में जुटे हैं।
आईआईटी दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रो. वीरेन्द्र कुमार विजय, राष्ट्रीय समन्वयक (यूबीए); प्रो. पूजा घोष, क्षेत्रीय समन्वयक (एनसीआर); प्रो. संगीता कोहली, परियोजना प्रमुख (खुरमपुर गांव); और प्रो. अंकैश जैन, एनएसएस प्रभारी ने छात्रों और संकाय सदस्यों को संबोधित किया।
प्रो. विजय ने कहा कि उन्नत भारत अभियान का मूल उद्देश्य तकनीक और दिलों को जोड़ना है। जब युवा गांवों को नवाचार और संस्कृति की प्रयोगशालाओं के रूप में देखना शुरू करते हैं, तभी सच्चे अर्थों में ग्राम स्वराज और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण संभव होता है।
अभियान के तहत सौर माइक्रोग्रिड, बायोगैस संयंत्र, बाजरा आधारित उद्योग, और कौशल प्रशिक्षण केंद्र जैसी सैकड़ों परियोजनाएं देशभर में संचालित की जा रही हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों ने गांव भ्रमण शिविर, पारंपरिक ज्ञान कार्यशालाएं, ग्रामीण नवाचार प्रदर्शनी और युवा–ग्राम संवाद जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण–शैक्षिक जुड़ाव को और मजबूत किया है।
उन्नत भारत अभियान अब अपने 12वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और विकसित भारत @2047 की दिशा में एक सशक्त मंच के रूप में आगे बढ़ रहा है। यह पहल ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर, नवोन्मेषी और ज्ञान-आधारित समाज में रूपांतरित करने की दिशा में देश के उच्च शिक्षण संस्थानों की सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गई है।
------------
हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार