सनातन संस्कृति शाश्वत, समावेशी, समग्र और प्रकृति के अनुकूल संस्कृति है

युगवार्ता    16-Nov-2025
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सनातन संत सम्मेलन 2025


'सनातन संत सम्मेलन 2025'


नई दिल्ली, 16 नवंबर (हि.स.)। सनातन संस्कृति के संरक्षण - संवर्धन तथा उसके गौरवपूर्ण, मूल्यनिष्ठ और अनंत इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना है, ताकि भारत के प्रत्येक सनातनी के मन में अपने धर्म, समाज और संस्कृति के प्रति सच्ची श्रद्धा एवं संवेदनाएं जागृत हों। सनातन संस्कृति शाश्वत, समावेशी, समग्र और प्रकृति के अनुकूल संस्कृति है। यह बातें नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में 'ओम् सनातन न्यास' की ओर से भव्य धार्मिक आयाेजन 'सनातन संत सम्मेलन-2025' में आए संताें ने कही। इस दाैरान कार्यक्रम में संत समाज ने सनातन और राष्ट्र को पुनः जीवंत व जागृत करने का संकल्प लिया जाएगा।

इस आयोजन को 'ओम् सनातन न्यास' ने एकल विद्यालय, एकल अभियान, जेबीएम ग्रुप ऑफ इंस्टियूशन जैसी सहयोगी संस्था के साथ मिलकर आयोजित किया। ​सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म और राष्ट्र महात्माओं के आदर्शों के प्रति निष्ठावान पीढ़ी का निर्माण करना है और उनके अनुभवों, ज्ञान और आत्म-कल्याण के सिद्धांतों को जन-जीवन में स्थापित करना है।

इस दाैरान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष व स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज ने कहा कि समय की मांग है कि हम सभी एक होकर सनातन को विश्वभर में पुनर्स्थापित करें। यह संस्कृति केवल परंपरा नहीं, बल्कि मानवता का मार्ग है। इसे आने वाली पीढ़ियों तक सशक्त रूप में पहुँचाना हम सभी का कर्तव्य है।” उन्होंने सभी संतों एवं उपस्थित जनों का स्वागत करते हुए एकता, प्रेम और सामाजिक जागरण का संदेश दिया। इस दाैरान स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज ने भारत लोक शिक्षा परिषद को “सनातन रत्न सम्मान” प्रदान किया। साथ ही तीन अन्य प्रमुख संस्थाओं को “सनातन गौरव सम्मान” से अलंकृत किया गया।

जैन आचार्य डॉ. लोकेश मुनि जी (विश्व शांति दूत) ने वैश्विक चुनौतियों पर सारगर्भित विचार रखते हुए कहा कि सनातन संस्कृति ही मानवता को शांति, सद्भाव और समाधान का मार्ग दिखा सकती है।

कथावाचक परम पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने सनातन धर्म की एकता और शक्ति पर प्रेरणादायी संदेश दिया तथा समाज में आध्यात्मिक जागरण की अलख जगाई। श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सलाहकार सरदार परमजीत सिंह जी ने युवाओं को सनातन जीवन-मूल्यों से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सभी को राष्ट्र एकता और सद्भाव के लिए प्रेरित किया।

महंत रवींद्र पूरी जी महाराज ने राष्ट्र और संस्कृति के उत्थान में संत समाज की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अपने ओजस्वी उद्बोधन से सभी को प्रेरित किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने राष्ट्रीय एकता, प्राकृतिक संरक्षण, मानव सेवा और सनातन के संरक्षण-संवर्धन का सारगर्भित संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “सनातन न तो आरंभ हुआ, न कभी समाप्त होगा - यह अनादि, अनंत और विश्व कल्याण की आधारशिला है। मानवता को प्रेम, करुणा और नैतिक मूल्यों के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में गुरुदत्त टंडन के साथ ही ​साध्वी ऋतंभरा, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज, काष्णी पीठाधीश्वर के स्वामी गुरु शरणानंद जी महाराज, योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद जी महाराज, अखिल भारतीय संत मंडल के अध्यक्ष नारायण गिरी जी महाराज के साथ ही शिक्षाविद, समाजसेवी, शोधकर्ता, वैज्ञानिक तथा विचारक मौजूद रहे।

कार्यक्रम का संचालन ओम् सनातन न्यास के मुख्य संयोजक नीरज रायजादा और स्मृति कुच्छल ने किया। इस दाैरान ओम् सनातन न्यास मुख्य संरक्षक (प्रबंधक समिति) गौरव अग्रवाल, योगेन्द्र गर्ग, रमेश लोधी और वेद प्रकाश आदि लाेगाें की कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी

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