
नई दिल्ली, 17 नवंबर (हि.स.)। गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बीच सोमवार को यहां एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर डीआरडीओ के अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत उपस्थित थे। यह करार दोनों संस्थानों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्मार्ट तकनीकी समाधान विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
डॉ. कामत ने कहा कि यह सहयोग स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के विभिन्न तैनाती पहलुओं के लिए तकनीकी समाधान विकसित करने में सहायक होगा। इस समझौते के तहत लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट, सामरिक, परिचालन एवं रणनीतिक स्तर पर परिचालन लॉजिस्टिक्स से जुड़े अध्ययन, अवधारणाओं के विश्लेषण तथा लॉजिस्टिक्स योजनाओं के सत्यापन पर संयुक्त शोध किया जाएगा। इसके अलावा चिप डिजाइन, हार्डवेयर सुरक्षा तथा होमोमोर्फिक/ब्लॉकचेन आधारित एन्क्रिप्शन तकनीकों पर अनुसंधान भी इसमें शामिल है।
समझौते का प्रमुख उद्देश्य सैन्य विज्ञान, परिचालन रणनीति, लॉजिस्टिक्स प्रबंधन और तकनीकी अनुसंधान के क्षेत्रों में शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की क्षमता का निर्माण करना है। दोनों संस्थान संयुक्त शोध, कार्यशालाएं, सेमिनार, सम्मेलन तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करेंगे। समझौते पर हस्ताक्षर गति शक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज चौधरी और डीआरडीओ के डीएस एवं डीजी (टीएम) डॉ. लाल चंद मंगल ने किए।
गति शक्ति विश्वविद्यालय पहले से ही भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के साथ लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन अनुसंधान तथा शिक्षा में सहयोग कर रहा है। ऐसे में डीआरडीओ के साथ हुआ यह करार विश्वविद्यालय की अनुसंधान क्षमता और रक्षा क्षेत्र में उसके योगदान को और मजबूत करेगा।
गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का भारत का पहला केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसे 2022 में संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया। रेल मंत्रालय के अधीन कार्यरत यह विश्वविद्यालय रेल, सड़क, पोर्ट, विमानन, समुद्री परिवहन, शिपिंग, अंतर्देशीय जलमार्ग, शहरी परिवहन तथा संपूर्ण लॉजिस्टिक्स एवं सप्लाई चेन नेटवर्क को समाहित करता है। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार