
नई दिल्ली, 17 नवंबर (हि.स.)।
बदलती जीवनशैली और डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक उपयोग के चलते आजकल बच्चों और युवाओं में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) तेजी से बढ़ रहा है। इसी गंभीर होती समस्या को देखते हुए सफदरजंग अस्पताल में एक समर्पित मायोपिया क्लिनिक की स्थापना की गई है।
यह क्लिनिक नेशनल मायोपिया वीक के अवसर पर शुरू की गई। इसका उद्घाटन डॉ. चारु बाम्बा (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट) द्वारा किया गया। इस अवसर पर नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. अनुज मेहता , मायोपिया क्लिनिक के प्रभारी डॉ. पंकज रंजन भी उपस्थित रहे।
डॉ. चारु बाम्बा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मायोपिया के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी हैं।
बच्चों का स्क्रीन टाइम अत्यधिक बढ़ गया है।
आउटडोर गतिविधियाँ कम हो गई हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई और डिजिटल लाइफस्टाइल ने आंखों पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
इन कारणों से बच्चों में चश्मे का नम्बर तेजी से बढ़ने, उच्च मायोपिया तथा आगे चलकर रेटिना संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए एक समर्पित क्लिनिक की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
उन्होंने बताया कि
सफदरजंग अस्पताल की यह नई क्लिनिक
बच्चों में मायोपिया की जल्द पहचान और नियमित मॉनिटरिंग
मायोपिया कंट्रोल उपचार के साथ स्क्रीन टाइम एवं विज़ुअल हाइजीन पर विशेषज्ञ परामर्श उपलब्ध कराएगा। इसके साथ
माता-पिता के लिए जागरूकता एवं काउंसलिंग,
उच्च मायोपिया वाले बच्चों के लिए रेटिना जांच और निवारक देखभाल
जीवनशैली में सुधार - आउटडोर गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए परामर्श भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल का यह कदम न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में मायोपिया नियंत्रण की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल है। यह क्लिनिक बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखने, समय पर उपचार उपलब्ध कराने और समग्र जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी