
- जमकर हुआ हंगामा, ढाई घंटे खड़ी रही जीटी एक्सप्रेस और तमिलनाडु एक्सप्रेस
भोपाल, 18 नवम्बर (हि.स.)। चेन्नई से नई दिल्ली प्रदर्शन के लिए जा रहे तमिलनाडु के 225 किसानों को मंगलवार शाम को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम और इटारसी रेलवे स्टेशन पर रोक लिया गया। पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल ने उन्हें जीटी एक्सप्रेस और तमिलनाडु एक्सप्रेस से उतार लिया। इसके बाद दोनों स्टेशनों पर देर रात तक जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान कई किसानों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। स्थिति बिगड़ने पर प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान ट्रेनें करीब ढ़ाई घंटे तक स्टेशन पर ही खड़ी रही।
ट्रेनों के दो घंटे से अधिक समय तक खड़े रहने से यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। किसानों को बाद में बसों से नर्मदापुरम के स्वयंवरम गार्डन में ले जाया गया, जहां भोजन और ठहरने की व्यवस्था की गई। इन किसानों को रात में या बुधवार सुबह तक चेन्नई जाने वाली एक ट्रेन से भिजवाने की प्लानिंग है। भोपाल से ट्रेन में एक स्पेशल कोच लगेगा।
दरअसल, 'राष्ट्रीय दक्षिण भारतीय नदी संपर्क किसान संगठन' के किसान सोमवार को चेन्नई से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। संगठन के करीब 200 सदस्य जीटी एक्सप्रेस और 50 से अधिक सदस्य तमिलनाडु एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे। बुधवार को जंतर-मंतर पर आंदोलन करने की उनकी योजना थी।
चेन्नई से रवाना होने के साथ ही खुफिया एजेंसियां किसानों की हर मूवमेंट पर नजर रखे हुए थीं। किसानों को दिल्ली से पहले रोकने के लिए नर्मदापुरम और इटारसी स्टेशन पर उतारने की तैयारी की गई थी। नर्मदापुरम में पूर्व एसपी डॉ. गुरकरण सिंह को विशेष रूप से रतलाम से बुलाया गया, जबकि इटारसी में हरदा एसपी शशांक को कमान दी गई। दोनों जगहों पर दोपहर से ही भारी पुलिस बल तैनात रहा।
जैसे ही ट्रेनें इटारसी और नर्मदापुरम स्टेशन पर पहुंची, पुलिस ने किसानों को ट्रेन से उतार लिया। किसानों को ट्रेन से उतारा गया तो उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी थी। कुछ किसान अर्धनग्न होकर प्लेटफॉर्म पर ही बैठ गए। और नारेबाजी करने लगे। किसानों के प्रदर्शन के चलते ट्रेनें दो घंटे से ज्यादा समय तक खड़ी रही। यात्री परेशान होते रहे। किसानों को ट्रेन से उतारने के दौरान हाथापाई की नौबत बनी। पुलिस फोर्स ने संभाला। इटारसी रेलवे स्टेशन पर 52 महिला पुरुष किसान नेताओं को उतारा गया। ट्रेन से उतरने के बाद सभी किसान नेताओं को दो बस से नर्मदापुरम के लिए रवाना किया गया। किसानों को नर्मदापुरम के स्वयंवरम गार्डन में ले जाया गया, जहां भोजन और ठहरने की व्यवस्था की गई।
किसान संगठन के अध्यक्ष अय्या कन्नू ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कृषि उत्पादों के लिए दो गुना लाभकारी मूल्य देने का वादा किया था। धान का मूल्य अगर 18 रुपये प्रति किलो है, तो गेहूं का भी 18 रुपये होना चाहिए। उन्होंने 54 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन अब तक उन्होंने केवल 24 रुपये दिए हैं। उसी तरह, गन्ने का मूल्य 2,700 रुपये प्रति टन है। अब उन्होंने 8,100 रुपये देने का वादा किया था, लेकिन अभी तक केवल 3,160 रुपये ही दे रहे हैं। इसलिए, हम चाहते हैं प्रधानमंत्री अपना वादा पूरा करें।
किसान संगठन के अध्यक्ष अय्या कन्नू ने बताया कि 600 से अधिक किसान आए थे। कुछ किसान तमिलनाडु एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे। अन्य किसानों को हिरासत में लिया गया। यह बहुत, बहुत बुरा है। लोकतंत्र में हमें कहीं भी जाने की स्वतंत्रता है। हमने रेलवे का पक्का टिकट लिया था। उसके बाद पुलिस आई और ट्रेन को रोककर हमें ट्रेन से उतार दिया। यह संविधान के खिलाफ है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है।
इधर, जानकारी मिली है कि किसान संगठन के अध्यक्ष अय्या कन्नू और उसकी टीम पर तमिलनाडु की एलआईबी(लोकल इंटेलिजेंस ब्यूरो) 24 घंटे नजर रखती है। जब भी ये थोक में रिजर्वेशन करवाते है, एलआईबी सूचना दे देती हैं। बुधवार को उनका संगठन दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन करने वाले थे। इसकी सूचना आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) और एलआईबी ने दी थी। चेन्नई से सोमवार को यह लोग ट्रेन में जैसे ही बैठे, पुलिस इन पर नजर रख रही थी। नागपुर से एमपी के कई पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में बैठ गए थे। वहीं चेन्नई से भी तमिलनाडु पुलिस ट्रेन में बैठ गई थी।
यह राष्ट्रीय दक्षिण भारतीय नदी संपर्क किसान संगठन है। यह वही संगठन है, जिसने तमिलनाडु में कावेरी जल मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया था। यह संगठन नदियों को आपस में जोड़ने की राष्ट्रीय परियोजना के विरोध में या उसमें भाग लेने वाले दक्षिण भारत के किसानों का प्रतिनिधित्व करता है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर