मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत ने राकांपा नेता नवाब मलिक के खिलाफ धन शोधन का आरोप तय किया

युगवार्ता    18-Nov-2025
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फाईल फोटो: राकांपा एपी नेता नवाब मलिक


मुंबई, 18 नवंबर (हि.स.)। मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत ने मंगलवार को 2022 के धन शोधन मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री तथा राकांपा एपी के नेता नवाब मलिक और उनके परिवार से जुड़ी दो अन्य कंपनियों मलिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सॉलिडस इन्वेस्टमेंट्स के खिलाफ आरोप तय किया है। इससे नवाब मलिक के खिलाफ पीएमएलए की धाराओं के तहत मुकदमे का रास्ता साफ हो गया है। इस मामले की अगली सुनवाई १९ दिसंबर को तय की गई है।

विशेष पीएमएलए अदालत के विशेष न्यायाधीश एस.आर. नवंदर ने मंगलवार को कहा कि मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री रिकॉर्ड में है। इसके अतिरिक्त, चौथे आरोपी सरदार खान, जो मुंबई में 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, के खिलाफ अलग से आरोप तय किए जाएंगे। मलिक और दोनों फर्मों ने अपने निदेशकों या साझेदारों के माध्यम से मामले में निर्दोष होने की दलील दी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

उल्लेखनीय है कि यह मामला डी-कंपनी के सहयोगियों द्वारा हड़पी गई जमीन से प्राप्त आय को वैध बनाने में कथित संलिप्तता से जुड़ा है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नवाब मलिक को २०२२ में गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई और मलिक इस समय जमानत पर है। पिछले सप्ताह नवाब मलिक ने दोषमुक्त किए जाने का आवेदन दिया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था और अदालत ने आदेश में कहा था, यह स्पष्ट है कि आरोपी नंबर 1 नवाब मलिक ने डी-कंपनी के सदस्यों हसीना पारकर, सलीम पटेल और आरोपी सरदार खान के साथ मिलकर अवैध रूप से हड़पी गई संपत्ति की लॉन्ड्रिंग में भाग लिया, जो पीएमएलए की धारा 2(1)(यू) के तहत 'अपराध की आय' है। उक्त संपत्ति को पीएमएलए की धारा 5(1) के तहत ज़ब्त कर लिया गया है। अदालत ने आरोपितों को आज होने वाली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया था।

ईडी ने अदालत में दावा किया कि ज़मीन की पावर ऑफ अटॉर्नी जाली थी और इसे बिना किसी प्राधिकरण के हस्तांतरित किया गया था, और बाद में सॉलिडस ने इसे खरीद लिया। ईडी ने कहा कि फर्म ने 2010-11 तक किरायेदारों से किराया वसूला और फिर परिसर का किराया वसूलने, मरम्मत और रखरखाव के लिए दूसरी रियल एस्टेट फर्म, मलिक इंफ्रास्ट्रक्चर, का गठन किया गया। ईडी ने दावा किया कि सॉलिडस को अपने नियंत्रण में लेने का उद्देश्य पूरे गोवावाला परिसर को हड़पना था । हालांकि मलिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने पिछले हफ्ते मामले से बरी होने की मांग करते हुए कहा था कि उसने सॉलिडस के साथ लीज का लेन-देन 2010-11 में ही किया था और चूँकि फर्म तब तक अस्तित्व में नहीं थी, इसलिए उसके खिलाफ आरोप तय नहीं किए जा सकते। इस मामले का चौथा आरोपी, सरदार खान, 1993 के बॉम्बे ब्लास्ट मामले में अमरावती जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसके खिलाफ आरोप तय करने के लिए दस्तावेज अलग से जेल भेजे जाएंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव

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