
काठमांडू , 19 नवंबर (हि.स.)। सरकार ने संवैधानिक परिषद से संबंधित अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद रिक्त संवैधानिक पदों की नियुक्तियों के लिए रास्ता खुल जाएगा।
मंत्रिपरिषद की बुधवार को हुई बैठक में संवैधानिक परिषद (कार्य, कर्तव्य, अधिकार एवं कार्यविधि) से जुड़े (प्रथम संशोधन) अध्यादेश जारी करने की अनुशंसा करने का निर्णय लिया। मंत्रिपरिषद के निर्णय की जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता जगदीश खरेल ने बताया कि इस मसौदे में यह प्रावधान शामिल है कि चुनाव के बाद प्रतिनिधि सभा के गठन पश्चात बनने वाली संसदीय सुनवाई समिति के समक्ष संवैधानिक पदाधिकारियों को प्रस्तुत होना होगा और समिति से अनुमोदन न मिलने पर उन्हें पदमुक्त किया जा सकेगा।
अध्यादेश में कोरम से संबंधित प्रावधान भी शामिल किया गया है, जिसके अनुसार उपस्थित सदस्यों के बहुमत से लिया गया निर्णय ही निर्णायक माना जाएगा। वर्तमान में 6 सदस्यीय संवैधानिक परिषद में प्रमुख विपक्षी दल का पद रिक्त है। इससे पहले संघीय संसद के दोनों सदनों से पारित संवैधानिक परिषद संशोधन विधेयक प्रमाणीकरण के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था, लेकिन राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उसे पुनर्विचार के लिए वापस लौटा दिया था।
राष्ट्रपति कार्यालय ने तब यह स्पष्ट किया था कि संशोधन संविधान की भावना, लोकतांत्रिक मूल्यों, मान्यताओं तथा वैश्विक प्रचलनों के प्रतिकूल है, इसलिए संविधान की धारा 113(3) के अनुरूप विधेयक को उसी सदन में पुनर्विचार के लिए लौटाया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास