

- आसियान-मप्र व्यापार और निवेश संवाद परामर्श-2025 सेमीनार में निवेश संवर्धन पर हुई चर्चा, आसियान के 11 देशों के राजदूत हुए शामिल
भोपाल, 19 नवम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि प्रदेश की नीतियों से राज्य में निवेश, नवाचार और निर्यात तेज़ी से आगे बढ़ रहा हैं। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र, लॉजिस्टिक व्यवस्था में लगातार सुधार, निर्यात को समर्थन देने वाली संरचनाएं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग, ये सभी मध्य प्रदेश को भारत के उभरते विकास मार्ग के रूप में स्थापित कर रहे हैं। प्रदेश ने औद्योगिक विकास एवं निवेश फ्रेंडली माहौल बनाने के लिये 18 नई नीतियां बनाई हैं। प्रदेश ने टॉप अचीवर्स का दर्जा प्राप्त किया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, सिंगल विंडो सिस्टम के साथ ही शासन-प्रशासन का निवेशकों को भर पूर सहयोग मिलता है। आसियान देशों के साथ निवेश बढ़ाने के लिये पर्सन-टू-पर्सन इंटरेक्शन विशेष प्रयास किए जाएंगे।
मुख्य सचिव जैन बुधवार देर शाम भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन हॉल में आयोजित आसियान–मध्य प्रदेश व्यापार और निवेश संवाद तथा निर्यात संवर्धन परामर्श 2025 सेमीनार को संबोधित कर रहे थे। सेमीनार में आसियान देशों के प्रदेश में व्यापार और निवेश के क्षेत्र में महत्वपूर्ण चर्चा हुई। आसियान देशों के 11 राजदूतों, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने निवेश पर विस्तृत संवाद किया। इस अवसर पर इंडिया में मलेशिया के हाई कमिश्नर एवं आसियान के चेयर दातो मुज्जफर शाह मुस्तफा और केन्द्र सरकार के विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव प्रशांत अग्रवाल ने भी विचार साझा किए।
सेमीनार में औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन प्रमुख सचिव राघवेंद्र कुमार सिंह ने प्रदेश की औद्योगिक क्षमता, व्यापार अवसरों और आसियान देशों के साथ सहयोग की संभावनाओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जहां व्यापक भौगोलिक क्षेत्र, समृद्ध खनिज संसाधन, उत्कृष्ट सुशासन और उद्योग समर्थक नीतियां उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 8 हवाई अड्डे, 5 औद्योगिक कॉरिडोर, पर्याप्त बिजली क्षमता और 1000 एमसीएम औद्योगिक जल उपलब्ध होने से राज्य स्वाभाविक रूप से उद्योगों का पसंदीदा स्थान बन रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश लगभग 9 करोड़ उपभोक्ताओं का बड़ा बाज़ार प्रदान करता है, जो आसियान देशों के लिए मध्य भारत में स्थित सरल पहुंच वाला महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है। उन्होंने बताया कि आसियान देशों को मध्य प्रदेश का कुल निर्यात 566 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है। इसमें थाईलैंड, वियतनाम और मलेशिया की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। दवाइयां एवं स्वास्थ्य उत्पाद, धातु आधारित वस्तुएं, वस्त्र, कृषि एवं खाद्य प्र-संस्करण तथा इंजीनियरिंग उत्पाद आसियान के लिए प्रमुख निर्यात श्रेणियां हैं।
प्रमुख सचिव सिंह ने बताया कि प्रदेश की औद्योगिक संरचना स्वाभाविक रूप से आसियान बाज़ार की आवश्यकताओं के अनुरूप है। उन्होंने मुरैना के फुटवियर क्लस्टर, उज्जैन के मेडिकल डिवाइस पार्क, धार के पीएम मित्रा टेक्सटाइल पार्क, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, रायसेन एवं ग्वालियर के प्लास्टिक पार्क और नर्मदापुरम के नवकरणीय ऊर्जा उपकरण निर्माण क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी परियोजनाएँ आसियान देशों की कंपनियों को उत्पादन और निर्यात, दोनों स्तरों पर मजबूत आधार प्रदान करती हैं।
प्रमुख सचिव राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश निवेशकों को 40 प्रतिशत तक की पूंजी सहायता, निजी औद्योगिक क्षेत्रों के लिए 50 प्रतिशत सहयोग, स्टॉम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत छूट, निर्यात पर लॉजिस्टिक सहायता, अनुसंधान एवं विकास पर सहयोग और औद्योगिक आवास के लिए सहायता प्रदान करता है। प्रदेश में उत्पादन लागत स्वाभाविक रूप से कम आती है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश लगातार ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में अग्रणी है, व्यवसाय 30 दिनों में शुरू करने की सुविधा उपलब्ध है, जीआईएस आधारित भूमि आवंटन किया जाता है और सहायता सीधे डीबीटी से स्थानांतरित की जाती है। फार्मा, खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग, वस्त्र और एमएसएमई आधारित उत्पादों के लिए आसियान देशों के साथ सहयोग को और आगे बढ़ाने की दिशा में प्रदेश तेजी से काम कर रहा है। मध्यप्रदेश एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है।
आसियान देशों -वियतनाम, कम्बोडिया, तिमोर लेसे, थाईलैंड, इंडोनेशिया एवं ब्रूनेई दारू सलम के राजदूतों ने कृषि–प्रसंस्करण, पर्यटन, नवकरणीय ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्थानीय स्तर पर आधारित उद्योगों में सहयोग आगे बढ़ाने की इच्छा जताई। देश में राज्य स्तर पर आसियान देशों के प्रतिनिधियों का ऐसा संगठित संवाद पहली बार हुआ, जो मध्य प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
भारतीय उद्योगों और विभिन्न निर्यात संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपने सुझाव रखे। उन्होंने मध्य प्रदेश के प्रमुख निर्यात उत्पादों, आसियान देशों में उपलब्ध बाज़ार अवसरों, लॉजिस्टिक को और बेहतर बनाने तथा व्यापार को सुगम बनाने के उपायों पर बात रखी। इन सुझावों से प्रदेश और आसियान देशों के बीच व्यापारिक सहयोग का स्पष्ट रास्ता सामने आया।
निर्यात से जुड़े उद्यमियों, वित्तीय संस्थानों और परिवहन सेवाओं से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लॉजिस्टिक ढांचे को और मजबूत किया जाए, रेल और हवाई मार्ग से उत्पाद भेजने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, कोल्ड–चेन जैसी सुविधाओं का विस्तार किया जाए, भुगतान प्रक्रिया में तेजी लाई जाए और गुणवत्ता जाँच प्रयोगशालाएँ बढ़ाई जाएँ। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि डिजिटल सहायता केंद्र और सिंगल विंडो सिस्टम व्यवस्था से निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी।
एमपीआईडीसी के एमडी चंद्रमौली शुक्ला ने बताया कि आसियान देशों के मिशन, उद्योग संगठनों और निर्यात संस्थाओं के साथ मिलकर संयुक्त कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिससे व्यापार और निवेश के नए अवसर सामने आएंगे। प्रदेश की नई निर्यात नीति और विजन-2035 में आज प्राप्त सुझावों को शामिल किया जाएगा।
कार्यक्रम में प्रदेश की कला और कौशल पर आधारित वस्त्र, शिल्प और व्यंजनों का आकर्षक प्रदर्शन भी किया गया। इसमें चंदेरी–महेश्वरी की बुनाई, ज़री-ज़रदोज़ी, धातु शिल्प, गोंड कला और मिलेट्स से बने व्यंजन शामिल थे। आसियान देशों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश की कला और कौशल को बेहद सराहा और इसे मध्य प्रदेश की बड़ी ताकत बताया। मध्य प्रदेश को दक्षिण–पूर्व एशियाई देशों के लिए एक मजबूत व्यापारिक और सांस्कृतिक साझेदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ी यह आयोजन पहल है। प्रदेश में औद्योगिक विकास, नवाचार और उपलब्ध ईको सिस्टम तथा टूरिज्म पर आधारित लघु (एवी) प्रदर्शित की गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर