मध्य प्रदेश के नर्मदा बेसिन में मछलियों की एक नई प्रजाति की हुई खोज

युगवार्ता    19-Nov-2025
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नर्मदा बेसिन में मछलियों की एक नई प्रजाति की हुई खोज


नर्मदा नदी बेसिन


भोपाल, 19 नवम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी बेसिन से मीठे पानी की नेमाचिलिड लोच नदी-नालों के तल में रहने वाली मछलियों की एक नई प्रजाति इंडोरियोनेक्टीज़ महाडेओएन्सिस की खोज की गयी है। यह खोज वैज्ञानिक द्वारा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के दक्षिणी-पूर्वी भाग में महादेव पहाड़ी की धारा पचमढ़ी क्षेत्र में किए गए मछली सर्वेक्षण के दौरान हुई।

जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी ने बुधवार को बताया कि भारतीय वन्य-जीव संस्थान देहरादून की वैज्ञानिक मेघना घोष और जयराज एंटनी जॉनसन और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान कोलकाता की वैज्ञानिक अनुराधा भट्ट द्वारा संयुक्त रूप से अध्ययन कर नई मछली प्रजाति की खोज की गयी है। सर्वेक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने एक ऐसी लोच मछली देखी, जिसकी शारीरिक आकृति मौजूदा ज्ञात प्रजातियों से अलग दिखायी दे रही थी। विस्तृत टैक्सोनोमिक और अनुवांशिक अध्ययन में यह पुष्टि हुई कि यह एक पूरी तरह नई अबतक की अवर्णित प्रजाति है। यह प्रजाति महादेव स्ट्रीम क्षेत्र में पायी गयी, इसलिए इसे महादेव पहाड़ी के नाम से इंडोरियोनेक्टीज़ महाडेओएन्सिस नाम दिया गया।

जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार मछली की नई प्रजाति में कई विशिष्ट गुण पाए गए हैं। इनमें पृष्ठीय पंख में 8 शाखित किरणें, गुदा पंख में 7 शाखित किरणें, लम्बी नासिका बार्बेल्स और शरीर के दोनों ओर विभाजित ऊर्ध्व पट्टियां पायी गयी हैं, जो अन्य सह-प्रजातियों से अत्यधिक भिन्न पायी गयी हैं। लोच मछलियां पारिस्थितिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। तल आधारित जीव होने के कारण ये पोषक तत्व पुनर्चक्रण, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की सफाई तथा मीठे पानी के पर्यावरण की स्वस्थ स्थिति के जैव सूचक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इनके महत्व के बावजूद, कई लोच प्रजातियाँ आवास विनाश, बांध निर्माण, प्रदूषण और अत्यधिक दोहन का सामना कर रही हैं, जिससे इनकी प्राकृतिक आबादी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

इंडोरियोनेक्टीज़ महाडेओएन्सिस मछली की खोज मध्य भारत की समृद्ध जल जैव-विविधता और सतपुड़ा पर्वतमाला के संवेदनशील पारिस्थितिक महत्व को उजागर करती है। यह खोज बताती है कि इस क्षेत्र में कई ऐसी प्रजातियाँ अभी भी मौजूद हैं, जिनके संरक्षण और आवास सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक अध्ययन और प्रयासों की आवश्यकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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