नाइजीरिया ने कहा – इस्लामी आतंकियों के खिलाफ अमेरिकी मदद तभी स्वीकार्य, जब उसकी संप्रभुता का सम्मान हो

युगवार्ता    02-Nov-2025
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अबुजा, 02 नवंबर (हि.स.)। नाइजीरिया सरकार ने रविवार को कहा कि वह देश में इस्लामी उग्रवाद से लड़ने में अमेरिका की मदद का स्वागत करती है, लेकिन यह सहयोग तभी स्वीकार्य होगा जब उसकी भौगोलिक संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाए। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने नाइजीरिया में ईसाइयों पर कथित अत्याचार को लेकर “तेजी से सैन्य कार्रवाई” की चेतावनी दी थी।

ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने अमेरिकी रक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि यदि नाइजीरिया ईसाइयों की हत्याओं को रोकने में विफल रहता है, तो अमेरिका वहां सैन्य हस्तक्षेप पर विचार कर सकता है। इसके जवाब में नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला टिनुबू के सलाहकार डैनियल ब्वाला ने कहा, “हम अमेरिकी सहयोग का स्वागत करते हैं, बशर्ते वह हमारी संप्रभुता को मान्यता दे।”

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हैं और जब ट्रंप व टिनुबू मिलकर वार्ता करेंगे, तो आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों में बेहतर परिणाम सामने आएंगे।

15 सालों से जारी हिंसा ने तबाह किए समुदाय

नाइजीरिया, जिसकी आबादी 20 करोड़ से अधिक है, उत्तर में मुस्लिम बहुल और दक्षिण में ईसाई बहुल देश है। बोको हराम और इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस (ISWAP) जैसे आतंकी संगठन पिछले 15 वर्षों से तबाही मचा रहे हैं। इन समूहों ने हजारों लोगों की हत्या की है और लाखों को विस्थापित किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, हालांकि ईसाइयों की हत्याएं हुई हैं, लेकिन सबसे ज्यादा शिकार मुस्लिम समुदाय ही बना है।

अमेरिकी संस्था एसीएलईडी के मुताबिक, वर्ष 2025 में अब तक नाइजीरिया में नागरिकों पर 1,900 से ज्यादा हमले हुए हैं, जिनमें धार्मिक कारणों से ईसाइयों को निशाना बनाए जाने के मामले केवल 50 रहे हैं। संस्था ने उन दावों को गलत बताया है जिनमें कहा गया था कि 2009 से अब तक एक लाख ईसाइयों की हत्या की गई है।

धार्मिक असहिष्णुता के आरोपों को नाइजीरिया ने किया खारिज

अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में नाइजीरिया को फिर से “विशेष चिंता के देश“ (Countries of Particular Concern) की सूची में शामिल किया है, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के आरोपी देश रखे जाते हैं। टिनुबू सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि नाइजीरिया में धार्मिक सह-अस्तित्व की परंपरा मजबूत है।

राष्ट्रपति टिनुबू, जो स्वयं मुस्लिम हैं, एक ईसाई पादरी से विवाहित हैं और सरकारी व सैन्य नियुक्तियों में धार्मिक संतुलन बनाए रखते हैं। हाल ही में उन्होंने एक ईसाई अधिकारी को नया रक्षा प्रमुख नियुक्त किया है।

हालांकि अबुजा में कुछ ईसाई नागरिकों ने ट्रंप के संभावित सैन्य हस्तक्षेप का समर्थन किया है, सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी हवाई हमले कारगर साबित नहीं होंगे, क्योंकि उग्रवादी समूह छोटे-छोटे गुटों में फैले हैं और नाइजर, चाड व कैमरून जैसे पड़ोसी देशों की सीमाओं में आवाजाही करते रहते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका को कोई कार्रवाई करनी है, तो उसे नाइजीरियाई सेना और सरकार के साथ घनिष्ठ सहयोग करना होगा — वही सरकार, जिसे ट्रंप ने सैन्य सहायता रोकने की धमकी दी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय

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