सामाजिक सद्भाव, सभ्यतागत एकता, दीर्घकालिक शांति को सामूहिक प्रयास आवश्यक : डॉ मोहन भागवत

युगवार्ता    20-Nov-2025
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इम्फाल में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत।


इम्फाल में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के कार्यक्रम की तस्वीर।।


- इम्फाल में सामाजिक सद्भाव एवं दीर्घकालिक शांति पर बोले सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत

इम्फाल, 20 नवम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने मणिपुर प्रवास के प्रथम दिवस इम्फाल में गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित किया। उन्होंने सामाजिक सद्भाव, सभ्यतागत एकता और राज्य में दीर्घकालिक शांति के लिए आवश्यक सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि संघ के कार्य को प्रायः पूर्वाग्रहों और दुष्प्रचारों के आधार पर समझा जाता है, जबकि इसकी वास्तविक भूमिका समाज को संगठित करने की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस का उद्देश्य किसी शक्ति-केंद्र का निर्माण नहीं बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज यहां तक कि आलोचकों को भी जोड़ना है।

डॉ भागवत ने संघ संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन, उनके देशभक्ति भाव और संगठन निर्माण की दृष्टि का उल्लेख करते हुए कहा कि “संघ एक मनुष्य-निर्माण की पद्धति है”, जिसे समझने के लिए शाखा स्तर की गतिविधियों को देखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि “हिंदू” शब्द किसी धार्मिक पहचान का नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक और सभ्यतागत विशेषण का द्योतक है।

उन्होंने विविधता को समाज की अंतर्निहित एकता की अभिव्यक्ति बताते हुए कहा कि राष्ट्र की शक्ति नेताओं के बजाय संगठित समाज पर निर्भर करती है। इसी क्रम में उन्होंने सत्य, करुणा, पवित्रता और तप को धर्म के मूल तत्व बताते हुए भारतीय सभ्यता की वैश्विक दृष्टि—वसुधैव कुटुंबकम—का उल्लेख किया।

मणिपुर की परिस्थितियों पर सरसंघचालक ने कहा कि स्थिरता बहाल करना एक दीर्घ प्रक्रिया है, जिसके लिए धैर्य, अनुशासन और समाज-स्तरीय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सब कुछ सरकार पर छोड़ना उचित नहीं, समाज को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष में चल रहे पंच-परिवर्तन उपक्रम—सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वबोध और नागरिक कर्तव्य का भी उल्लेख किया।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने प्रतिभागियों के साथ कौशल विकास और सामाजिक सशक्तिकरण से जुड़े विषयों पर संवाद किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

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