
नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में प्रत्येक शनिवार को आयोजित होने वाला प्रतिष्ठित ‘चेंज ऑफ गार्ड’ समारोह अब शीत ऋतु को देखते हुए नए समय पर आयोजित होगा।
राष्ट्रपति भवन की ओर से गुरुवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यह समारोह आगामी शनिवार, 22 नवंबर से सुबह 08:30 बजे से 09:30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। अब तक यह कार्यक्रम गर्मियों के मद्देनजर सुबह 8 बजे से होता था, लेकिन मौसम में ठंड बढ़ने के कारण समय में परिवर्तन किया गया है।
राष्ट्रपति भवन की उप प्रेस सचिव नविका गुप्ता द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि नए समय का प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
उल्लेखनीय है कि ‘चेंज ऑफ गार्ड’ एक सैन्य परंपरा है जिसकी शुरुआत इतिहास के पन्नों में कहीं खो गई है। प्राचीन काल से ही किलों, महलों और रक्षा प्रतिष्ठानों में तैनात गार्डों को निश्चित अंतराल पर बदला जाता रहा है, ताकि नई और ताज़ा टुकड़ी जिम्मेदारी संभाल सके। राष्ट्रपति भवन में यह दायित्व सेरेमोनियल आर्मी गार्ड बटालियन निभाती है।
समारोह को हाल में अधिक दृश्यात्मक और जनसुलभ बनाने के लिए इसका स्वरूप बदला गया है और इसका स्थल भी राष्ट्रपति भवन के फोरकोर्ट में स्थानांतरित किया गया है, जहां आम जनता के लिए पहुंच आसान है।
समारोह में भाग लेने वाली 1/5 गोरखा राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स) भारतीय सेना की सबसे सशक्त और पुरानी बटालियनों में से एक है। 22 मई, 1858 को स्थापित इस बटालियन ने सभी प्रमुख युद्धों में सक्रिय भागीदारी की है और यह 26 बैटल ऑनर्स, तीन थिएटर ऑनर्स तथा चार बार प्राप्त चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ यूनिट सिटेशन से सम्मानित है।
वहीं, प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड (पीबीजी), जिसकी स्थापना 1773 में हुई थी, भारतीय सेना की वरिष्ठतम रेजिमेंट है। यह रेजिमेंट अपने उत्कृष्ट घुड़सवारों, सक्षम टैंकमैन और पैराट्रूपर्स के लिए प्रसिद्ध है।
समारोह का सबसे आकर्षक हिस्सा पीबीजी द्वारा प्रस्तुत घुड़सवारी प्रदर्शन है, जिसके बाद राष्ट्रगान की धुन के साथ कार्यक्रम का समापन होता है।
करीब पचास मिनट का यह समारोह सेरेमोनियल बैंड की धुनों के साथ शुरू होता है। परेड कमांडर के आगमन के बाद पीबीजी के घुड़सवार दक्षिण प्रांगण से प्रवेश करते हैं। इसके बाद 1/5 गोरखा राइफल्स की टुकड़ी मार्च करती हुई आती है। नए और पुराने गार्ड का निरीक्षण किया जाता है और सलामी के बाद नए गार्ड की जिम्मेदारी औपचारिक रूप से सौंप दी जाती है। इसके बाद राष्ट्रीय सलामी दी जाती है।
यह समारोह हर शनिवार को आयोजित होता है, बशर्ते उस दिन कोई राजपत्रित अवकाश न हो। दर्शकों के लिए 50 रुपये प्रति व्यक्ति पंजीकरण शुल्क निर्धारित किया गया है, जिसका ऑनलाइन भुगतान करना होता है। यह शुल्क नॉन-रिफंडेबल और नॉन-ट्रांसफरेबल है।
राष्ट्रपति भवन की भव्य पृष्ठभूमि, सुंदर उद्यानों और सुसज्जित सैन्य दलों के बीच यह समारोह देश की सैन्य परंपराओं, अनुशासन और शौर्य का अनूठा प्रदर्शन पेश करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार