रीजनल ओपन डिजिटल स्वास्थ्य सम्मेलन में सहयोग, डेटा प्रबंधन समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा

युगवार्ता    20-Nov-2025
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क्षेत्रीय ओपन डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन का प्रतीकात्मक चित्र


नई दिल्ली, 20 नवंबर (हि.स.)। भारत समेत दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के क्षेत्रीय ओपन डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में पहले दिन स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचे, खुले मानक और जनित कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती तकनीकों के जरिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को मजबूत करने पर चर्चा हुई। बुधवार से शुरू हुए तीन दिवसीय इस सम्मेलन में सहभागी देशों ने डिजिटल स्वास्थ्य का भविष्य, सहयोग, तकनीकी मानकीकरण और सुरक्षित डेटा प्रबंधन पर सहमति जताई।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली में शुरू हुए इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय ई-शासन प्रभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन (दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय) तथा यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, मालदीव सहित क्षेत्र के कई देशों के वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हुए।

उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय ई-शासन प्रभाग के प्रमुख रजनीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय डिजिटल आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स-आईटी मंत्रालय के बीच संयुक्त कार्यप्रणाली आवश्यक है, ताकि आधार, एकीकृत भुगतान अंतरफलक, कोविन और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसे राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म सुरक्षित रहते हुए परस्पर-संगत बने रहें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी मनोज झालानी ने कहा कि सम्मेलन क्षेत्रीय तकनीकी क्षमता बढ़ाएगा, जबकि यूनिसेफ के प्रतिनिधि अर्जन दे वाग्त ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य को आगे बढ़ाते समय समुदाय, स्वास्थ्यकर्मी और बच्चों की आवश्यकताओं पर समान ध्यान देना होगा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के प्रमुख डॉ. सुनील कुमार बर्नवाल ने बताया कि भारत के डिजिटल ढांचे ने यह सिद्ध किया है कि बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाली सार्वजनिक डिजिटल सुविधाएं समाज को वास्तविक लाभ देती हैं। स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि स्वास्थ्य परिणाम केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं, बल्कि शिक्षा, पोषण, स्वच्छता और सामाजिक सुरक्षा जैसे तत्वों पर भी निर्भर करते हैं, इसलिए विभिन्न मंत्रालयों के डिजिटल तंत्रों का समेकन जरूरी है।

पहले संवाद सत्र में विशेषज्ञों ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन के लिए खुले मानक, पूर्ण-स्तरीय ढांचे और डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत संरचना बेहद महत्वपूर्ण हैं। दूसरे सत्र में डिजिटल पहचान, भुगतान तंत्र, डेटा विनिमय और रजिस्टर जैसी मुख्य डिजिटल सार्वजनिक संरचनाओं की भूमिका पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि डिजिटल अपनाने के साथ-साथ स्वास्थ्य परिणाम और नागरिक सशक्तिकरण को भी सफलता का मापदंड माना जाना चाहिए।

तीसरे सत्र में स्वास्थ्य डेटा विनिमय के वैश्विक मानक एफएचआईआर को लागू करने के लिए स्थायी प्रशासनिक सुधार, सहयोगी तंत्र और प्रशिक्षित मानव संसाधन के महत्व पर जोर दिया गया। चौथे सत्र में भारत, श्रीलंका और थाईलैंड ने अपने-अपने स्वास्थ्य डिजिटल ढांचों के अनुभव साझा किए।

पांचवें और छठे सत्र में जनित कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाओं और उसके व्यवहारिक उपयोगों का प्रदर्शन किया गया। विशेषज्ञों तथा भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने बताया कि जनित एआई स्वास्थ्य सेवाओं में दक्षता, सटीकता और न्यायसंगत पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्रदर्शनों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित चिकित्सीय दस्तावेज़ीकरण, निदान, शुरुआती कैंसर पहचान, बहुभाषी मरीज संवाद और उन्नत स्वास्थ्य मॉडल दिखाए गए।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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