जन औषधि परियोजना ने बचाए लोगों के 40 हजार करोड़ रुपये

युगवार्ता    21-Nov-2025
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जन औषधि केन्द्र


गुरुग्राम


प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएबीजेपी )


प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएबीजेपी ) के तहत गुरुग्राम में स्थापित वेयरहाउस


नई दिल्ली, 21 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएबीजेपी) ने पिछले 11 सालों में आमजनता के करीब 40 हजार करोड़ रुपयों की बचत की है। इस परियोजना के अंतर्गत दवाओं और सर्जिकल उपकरणों की सूची अब बढ़कर 2425 हो गई जिसमें 2110 दवाएं और 315 सर्जिकल उत्पाद शामिल हैं। इन दवाओं और उत्पाद की गुणवत्ता के कारण लोगों का भरोसा जनऔषधि केन्द्रों पर बढ़ता जा रहा है। यही कारण है आज देश में दवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए अब तक देश में 16955 जन औषधि केंद्र खुल चुके हैं। इन्हें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी जिलों में संचालित किया जा रहा है।

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी दी कि जन औषधि केन्द्रों पर अब आयुष के उत्पाद भी उपलब्ध हैं। इसमें त्रिफला, शिलाजीत, अश्वगंधा और च्यवनप्राश स्पेशल शामिल है जो बाजार से आधे से कम कीमत में उपलब्ध है।पीएबीजेपी के तहत मास्क, डायपर, रबर ग्लब्स, ऑक्सीमीटर, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, सीरिंज और सुई भी जन औषधि केन्द्रों में उपलब्ध है।

मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत देशभर में सस्ती दवाओं और आवश्यक स्वास्थ्य उत्पादों की उपलब्धता तेजी से बढ़ रही है। योजना के माध्यम से अब तक करोड़ों उपभोक्ताओं को बाजार भाव से कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल चुकी हैं और केंद्रों की संख्या बढ़ने से इसका लाभ दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंच रहा है।इन दवाओं को विश्व स्वास्थ्य संगठन -जीएमपी से प्रमाणित दवा उत्पादक कंपनियों से ही खरीदा जाता है। दवाओं की आपूर्ति के लिए देशभर में पांच प्रमुख वेयरहाउस स्थापित किए गए हैं जिसमें गुुरुग्राम, गुवाहाटी, सूरत, चेन्नई एवं बेंगलुरू शामिल है। यहां से देशभर के औषधि केन्द्रों को दवाई मुहैया कराई जाती है। इन गोदामों और जन औषधि केन्द्रों को एसएपी आधारित सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है। साथ ही सभी केन्द्रों पर पॉइंट ऑफ सेल सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन भी लगाया गया है, जिससे दवाइयों की आपूर्ति ठीक तरह से हो सके एवं देश के किसी केन्द्र पर दवाइयों की कमी न हो। मार्च 2027 तक जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 25000 करने का लक्ष्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि मार्च 2027 तक केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 25000 करने का लक्ष्य रखा है। यह मॉडल उद्यमिता और स्व-रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है। केंद्र संचालकों को मासिक खरीद पर निर्धारित प्रतिशत के आधार पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पात्र श्रेणियों के आवेदकों को 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता तक उपलब्ध कराई जाती है।

योजना के अंतर्गत उपलब्ध दवाएं सामान्य बाजार में मिलने वाली दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती हैं। कई श्रेणियों में बचत 96 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। नैपकिन एक रूपये और डायपर के साथ आयुष उत्पाद भी उपलब्ध महिला स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन भी केवल 1 रुपये प्रति पैड की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। सितंबर 2025 तक इसके 93 करोड़ से अधिक पैड बेचे जा चुके हैं। इसके अलावा जन औषधि योजना के अंतर्गत प्रोटीन पाउडर, आयुष उत्पाद, ऑक्सीमीटर, और टेम्पलेटेड सर्जिकल उत्पाद जैसे कई नए आइटम भी जोड़े गए हैं। इसके साथ रोजमर्ऱा के जीवन में उपयोग में लाई जाने वाले उत्पादों को भी जोड़ा गया है जिसमें जनऔषधि ऊर्जा, जनऔषधि बचपन, पोषण, मधुरक, पुदीना शामिल है। इसके साथ जन औषधि सुगम मोबाइल एप भी लॉन्च किया गया है जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इस एप से लोग अपनी जरुरत की दवाइयों की जानकारी और केन्द्रों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की शुरुआत सस्ती और गुणवत्ता-युक्त दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। समय के साथ इसका विस्तार बढ़ता गया और आज यह देशभर में औषधि उपलब्धता का एक महत्वपूर्ण तंत्र बन चुका है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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