
पुट्टपर्थी, 22 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ काम करने वाली आध्यात्मिक और सेवा संस्थाएं देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। वे शनिवार को पुट्टपर्थी में श्री सत्य साई बाबा की जन्म शताब्दी समारोह के विशेष सत्र को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में आध्यात्मिक संस्थाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समाज-कल्याण, निस्वार्थ सेवा और मानव मूल्यों को बढ़ावा देना राष्ट्र को मजबूत आधार प्रदान करता है और इस दिशा में आध्यात्मिक संगठन लगातार सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से संत-महात्माओं ने समाज को सही दिशा दी है और श्री सत्य साई बाबा ने “सेवा ही ईश्वर-सेवा” के मार्ग पर चलते हुए निस्वार्थ सेवा को आध्यात्मिकता से जोड़ा। उनका “सभी से प्रेम करो, सभी की सेवा करो” और “हमेशा मदद करो, कभी दुख मत दो” का संदेश विश्वभर में लाखों लोगों को प्रेरित करता है।
उन्होंने कहा कि श्री सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट द्वारा निःशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और पेयजल आपूर्ति जैसी पहलें बाबा की दूरदृष्टि का परिणाम हैं तथा ये सेवाएं समाज को मजबूत बनाती हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार जीवन को सरल बनाने के लिए अनेक कदम उठा रही है और इस प्रयास में सभी धार्मिक-सेवी संगठनों, एनजीओ, निजी क्षेत्र तथा नागरिकों को सहयोग करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने जन्म शताब्दी वर्ष को मानवता, शांति और सेवा के संकल्पों को अपनाने का अवसर बताते हुए कहा कि सामूहिक प्रयासों से ही भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार