भाजपा ने टीएमसी पर चुनाव से पहले माहौल बिगाड़ने का लगाया आरोप

युगवार्ता    24-Nov-2025
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डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, भाजपा प्रवक्ता


नई दिल्ली, 24 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद निर्माण की घोषणा से राजनीति गरमा गयी है। भारतीय जनता पार्टी ने इसका विरोध जताते हुए इसे चुनावी पैतरा बताया है। भाजपा ने कहा कि राज्य में चुनाव से पहले इस तरह की घोषणा कर और विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध जता कर वहां माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में कहा कि पश्चिम बंगाल में हालत बहुत ख़राब है। मुर्शिदाबाद में टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर कहते हैं कि वो बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण करेंगे। इंडी गठबंधन के नेता या तो इस पर चुप हैं या इसका समर्थन कर रहे हैं। चुनाव के समय टीएमसी और कांग्रेस किस तरह का माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं? उन्होंने कहा कि 2005 में ममता बनर्जी ने नाराज़ होकर स्पीकर की पीठ पर फ़ाइल फेंक दी थी, क्योंकि उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर चर्चा की इजाज़त नहीं मिली थी। एक समय वो इतनी नाराज़ थीं कि संसदीय आचार संहिता तोड़ दी और आज वो इसका समर्थन कर रही हैं। सिर्फ़ संविधान निर्माताओं को ही नहीं, वो ख़ुद को भी नकार रही हैं। इस पर कांग्रेस भी चुप है।

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि झारखंड के एक मंत्री इरफान अंसारी यह सार्वजनिक तौर पर बोलते हैं कि यदि कोई बीएलओ तुमसे जानकारी लेने के लिए आए तो उसको बंधक बना लो।

यह बयान सरासर निंदनीय है। उन्होंने इंडी गठबंधन के घटक दलों से पूछा कि लोकतंत्र को बंधक बनाने का निंदनीय प्रयास है या नहीं?

जहां-जहां इंडी गठबंधन के घटक दल सत्ता में आते हैं, वहां संविधान की भावना दरकिनार कर दी जाती है।

वो भी कुछ संदिग्ध स्रोतों से वोट प्राप्त करके सत्ता पर कब्जा करने के लिए।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव नज़दीक आते ही कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस राज्य में किस तरह की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं?

निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों के लिए एसआईआऱ बेहद ज़रूरी है। डॉ. आंबेडकर ने 18 अप्रैल 1950 को संसद में कहा था कि मतदाता सूची का हर 6 महीने में संशोधन होना चाहिए, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण यह संभव नहीं है। इसलिए कम से कम इसे सालाना संशोधित किया जाना चाहिए,

लेकिन यहां विपक्ष का कहना है कि 20 साल बाद भी इसकी समीक्षा नहीं होनी चाहिए।

क्या वे हमारे संविधान निर्माताओं के ख़िलाफ़ हैं? स्वतंत्र, पारदर्शी, निष्पक्ष प्रक्रिया के द्वारा चुनावों को संपन्न कराने के प्रयास को लेकर जिस प्रकार का निंदनीय प्रयास और घातक आघात इंडी गठबंधन के कुछ राज्यों के द्वारा किया जा रहा है, वो बहुत चिंतनीय है।

उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इस मतदाता सूची के संशोधन पर अनर्गल और निराधार आरोप लगा रहे हैं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री उस पर परोक्ष रूप से भड़काने वाले बयान दे रही हैं। साफ है संवैधानिक व्यवस्था, चुनाव को पारदर्शी रूप से होने देने के प्रयास में सबसे बड़ी बाधा अगर कोई है तो वो इंडी गठबंधन के दल हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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