चेन्नई एथलेटिक्स में बांदा का 76 वर्षीय धावक मोतीलाल स्पाइक्स पहनकर लगाएंगे दौड़

युगवार्ता    03-Nov-2025
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बांदा से रवाना होते समय स्वागत करते पूर्व खिलाड़ी


बांदा, 3 नवंबर (हि.स.)। कहते हैं, “उम्र सिर्फ़ एक संख्या है, हौसला हो तो पहाड़ भी रास्ता देता है।” इसी जज़्बे को हक़ीक़त में बदलते नज़र आ रहे हैं बांदा के 76 वर्षीय धावक मोतीलाल चौरसिया, जो चेन्नई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने रवाना हो गए हैं।

शहर में उनकी विदाई किसी उत्सव से कम नहीं थी। फूलों की मालाएं, ढोल-नगाड़े, तालियों की गूंज और हर किसी की आंखों में गर्व की चमक। जैसे ही मोतीलाल चौरसिया ने “भारत माता की जय” का नारा लगाया, माहौल जोश से भर गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि “यह मेरे जीवन का सुनहरा अवसर है। मैं मैदान में उतरूंगा तो हर कदम भारत के सम्मान के लिए होगा।”

छात्र जीवन में तीन बार जिला और विश्वविद्यालय स्तरीय अजेय चैम्पियन रह चुके मोतीलाल चौरसिया ने राज्य स्तरीय नौ और राष्ट्रीय स्तर पर छह बार अपनी रफ्तार से सबको चकित कर चुके हैं। करीब तीस साल पहले उन्होंने दौड़ से संन्यास लिया था, लेकिन रफ्तार उनकी रगों से कभी नहीं उतरी। अपने 70वें जन्मदिन पर उन्होंने पुलिस लाइन मैदान में लगातार 70 मिनट तक दौड़कर एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया था। उस दिन तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शालिनी और डीआईजी ने उन्हें सम्मानित किया था।

चेन्नई में 4 से 6 नवंबर तक होने वाली इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में वे 5 किलोमीटर दौड़ श्रेणी में उतरेंगे। 76 वर्ष की आयु वर्ग में भारत के इकलौते प्रतिनिधि के रूप में चयनित होना उनके जुनून और अनुशासन की कहानी बयां करता है। इस प्रतियोगिता में 165 देशों के खिलाड़ी हिस्सा लेंगे जहां अनुभव, हौसला और गति का रोमांचकारी संगम देखने को मिलेगा।

खेल मंत्रालय के पूर्ण खर्च पर प्रयागराज होते हुए चेन्नई रवाना हुए मोतीलाल चौरसिया का कहना है कि “अब मेरा सपना है कि बांदा का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन हो। युवाओं से कहना चाहता हूं कि सपनों की उम्र नहीं होती, बस हौसले की ज़रूरत होती है।”

स्थानीय खिलाड़ियों, खेलप्रेमियों और गणमान्य नागरिकों ने उन्हें फूलों से लादकर शुभकामनाएं दीं। किसी ने कहा कि “यह दौड़ मोतीलाल जी नहीं, बांदा की आत्मा दौड़ रही है।” तो कोई बोला कि “ये बुज़ुर्ग नहीं, बुंदेलखंड की दौड़ती प्रेरणा हैं।” चेन्नई के ट्रैक पर जब यह 76 वर्षीय धावक स्पाइक्स पहनकर दौड़ेंगे, तो यह सिर्फ़ एक खेल नहीं होगा यह साबित करेगा कि जुनून कभी बूढ़ा नहीं होता।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल सिंह

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