हरमनप्रीत कौर ने की शैफाली वर्मा की तारीफ, कहा- उसका दिन था

युगवार्ता    03-Nov-2025
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विश्व कप ट्रॉफी के साथ भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर


नवी मुंबई, 3 नवंबर (हि.स.)।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने बताया कि उन्हें अंदर से महसूस हो रहा था कि रविवार का दिन शैफाली वर्मा का है — और उनका यही “गट फीलिंग” भारत के लिए ऐतिहासिक विश्व कप जीत का कारण बना।

विश्व कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत ने 299 रन का लक्ष्य रखा था। उस समय जब दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वूल्वार्ट और सुने लूस 52 रनों की साझेदारी कर रही थीं, हरमनप्रीत ने शैफाली को गेंद थमाने का फैसला किया — और यहीं से मैच का रुख पलट गया।

शैफाली, जिन्होंने पहले बल्ले से अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ 87 रनों की पारी खेली, ने गेंदबाजी में भी दो अहम विकेट लेकर मैच को भारत की झोली में डाल दिया। अपने करियर में सिर्फ 14 ओवर में एक विकेट के रिकॉर्ड के साथ आईं शैफाली ने फाइनल में महज़ दो गेंदों में बड़ा असर दिखाया — पहले लौरा वूल्वार्ट का कैच खुद लपककर साझेदारी तोड़ी और फिर अगले ओवर की पहली ही गेंद पर मरिज़ान काप को पवेलियन भेजा।

हरमनप्रीत ने मैच के बाद कहा, “जब लौरा और सुन बल्लेबाजी कर रही थीं, तो वे बहुत अच्छे लग रहे थे। तभी मैंने शैफाली को देखा और सोचा कि आज उसका दिन है। दिल कह रहा था कि उसे एक ओवर देना चाहिए, और जैसे ही मैंने पूछा ‘क्या तू एक ओवर डालेगी?’, उसने तुरंत हां कह दिया। और वही हमारे लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।”

शैफाली टीम में सेमीफाइनल से पहले शामिल हुई थीं, जब नियमित ओपनर प्रतिका रावल चोटिल होकर बाहर हुईं।

हरमन ने बताया,“जब वह टीम में आई, तो हमने कहा था कि हो सकता है हमें तुझसे दो-तीन ओवर की जरूरत पड़े। उसने कहा — ‘अगर आप मुझे गेंद दोगे, तो मैं टीम के लिए 10 ओवर डालूंगी।’ उसकी यही आत्मविश्वास टीम के लिए बड़ा फर्क लेकर आया।”

हरमनप्रीत ने कहा कि भले ही हमने सेमीफाइनल में 339 रन का पीछा कर रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन फाइनल में 298 रन पर्याप्त थे क्योंकि यह अलग पिच और अलग माहौल था।

हालांकि वूल्वार्ट ने लगातार दूसरा शतक जमाकर भारत पर दबाव बनाया, लेकिन दीप्ति शर्मा ने बीच में आकर महत्वपूर्ण विकेट झटके और दक्षिण अफ्रीका की आखिरी पांच विकेट मात्र 37 रनों पर समेट दीं।

हरमन ने कहा, “दक्षिण अफ्रीका की टीम ने शानदार खेल दिखाया, लेकिन आख़िरी क्षणों में वे घबरा गए, वहीं से हमने मैच पकड़ लिया।

भारत तीन हार के बाद बना चैंपियन

भारत ने लीग चरण में दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से लगातार तीन मैच गंवाए थे, लेकिन सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर वापसी की और फिर फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर पहली बार विश्व कप जीता।

भारतीय कप्तान ने कहा, “हमारे अंदर आत्मविश्वास था कि हम वापसी कर सकते हैं। हर खिलाड़ी ने सकारात्मक सोच रखी और अगले तीन मैचों में पूरा दम लगाया। आज उस मेहनत का फल मिला।,”

भारत की यह ऐतिहासिक जीत न सिर्फ़ मैदान पर बल्कि हर क्रिकेटप्रेमी के दिल में दर्ज हो गई — और इस कहानी की नायिका बनीं शैफाली वर्मा, जिसने बल्ले और गेंद दोनों से सुनहरा इतिहास लिखा।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे

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