महिलाओं के डिजिटल अधिकारों और गोपनीयता की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने सौंपी रिपोर्ट

युगवार्ता    04-Nov-2025
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राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष विजया रहाटकर


नई दिल्ली, 04 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं के डिजिटल अधिकारों और गोपनीयता की बेहतर सुरक्षा के लिए भारत के साइबर कानूनों की व्यापक समीक्षा की मांग करते हुए अपनी रिपोर्ट विधि एवं न्याय मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय को सौंपी है। इन सिफारिशों का उद्देश्य ऑनलाइन खतरों का समाधान करना और एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण को बढ़ावा देना है। ‘लॉ रिव्यू 2024-25 के लिए अनुशंसात्मक रिपोर्ट’ में संकलित ये प्रस्ताव कई सरकारी मंत्रालयों को प्रस्तुत किए गए हैं। पिछले एक वर्ष में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विचार-विमर्शों में विभिन्न हितधारकों के सुझावों को शामिल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 200 से अधिक व्यावहारिक विधायी सुधार सुझाए दिए गए हैं। मुख्य प्रस्तावों में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम जैसे मौजूदा कानूनों में संशोधन शामिल है ताकि ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में सख्त दंड और पीड़ितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

मंगलवार को मीडिया से बातचीत में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने कहा कि डिजिटल दुनिया ने महिलाओं के लिए सीखने, उद्यमशीलता और अभिव्यक्ति के अनंत द्वार खोले हैं, लेकिन साथ ही इसने खतरे और धमकी के नए आयाम भी पैदा किए हैं। यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि तकनीक शोषण का नहीं, बल्कि सशक्तिकरण का साधन बने। इस रिपोर्ट के माध्यम से, राष्ट्रीय महिला आयोग एक ऐसे साइबर पारिस्थितिकी तंत्र की कल्पना करता है जहाँ कानून केवल अपराधियों को दंडित ही नहीं करते, बल्कि सम्मान की रक्षा भी करते हैं; जहाँ भय का स्थान जागरूकता लेती है; और जहाँ हर महिला बिना किसी हिचकिचाहट के, आत्मविश्वास, जानकारी और सुरक्षा के साथ डिजिटल दुनिया में कदम रख सकती है।

उन्होंने बताया कि इस परामर्श प्रक्रिया में न्यायाधीशों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, पुलिस अधिकारियों, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के सदस्यों सहित सैकड़ों विशेषज्ञों ने भाग लिया। उनकी सामूहिक अंतर्दृष्टि से 200 से अधिक कार्यान्वयन योग्य सिफारिशों का एक व्यापक सेट तैयार हुआ, जिसका उद्देश्य महिलाओं को लक्षित करने वाले साइबर अपराधों के प्रति भारत की प्रतिक्रिया में कानूनी और संस्थागत अंतराल को दूर करना था।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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