बिहार ​विस चुनाव : अमित शाह ने चुनावी रुख किया साफ, बोले- वोट जाति-धर्म नहीं, देश पर डालिए

युगवार्ता    05-Nov-2025
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सांकेतिक फोटो—बिहार ​विस चुनाव—अमित शाह


-अमित शाह बोले, राष्ट्र पहले-बाकी सब बाद में

पटना, 05 नवम्बर (हि.स.)। बिहार के चुनावी मैदान में इस बार न जाति की गूंज है, न परिवार की राजनीति की गंध-बल्कि राष्ट्र की पुकार सुनाई दे रही है। प्रथम चरण के मतदान से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संदेशों से हवा का रुख साफ कर दिया है कि वोट धर्म पर नहीं, देश पर डालिए, समाज पर नहीं, सुरक्षा पर डालिए। जहां विपक्ष अब भी जातीय गणित में उलझा है,वहीं अमित शाह का फोकस एक ही सूत्र पर है भारत पहले, बाकी सब बाद में।

विधानसभा चुनाव 2025 बिहार के भविष्य की दिशा तय करेगा। क्या बिहार फिर पुराने जातीय जाल में उलझेगा या शाह के राष्ट्रवादी संदेश को आगे बढ़ाएगा? जो भी हो, इस बार अमित शाह ने बिहार को एक नया विमर्श दे दिया है- जात नहीं, राष्ट्र ही पहचान है।

'राम मंदिर बन चुका, अब राष्ट्र निर्माण की बारी है'अमित शाह ने पिछले कुछ दिनों में बिहार की राजनीति की दिशा मोड़ दी है। उन्होंने बार-बार कहा कि जो लोग जाति के नाम पर वोट मांगते हैं, वे बिहार को 30 साल पीछे ले गए। अब बिहार को सुरक्षा, विकास और सम्मान की राजनीति चाहिए। शाह की सभाओं में एक बात आम हो गई है- राम मंदिर बन चुका, अब राष्ट्र निर्माण की बारी है। लोगों की भीड़ इस नारे पर तालियां बजा रही है। उनके भाषणों में न कोई कटाक्ष है, न जातीय तंज, बल्कि एक सीधी अपील है कि भारत माता के बेटे-बेटियों से।

सीता की धरती से उठे राष्ट्रवाद के स्वर सीतामढ़ी, बेतिया और भागलपुर के सभास्थलों पर शाह की रैली ने नई ऊर्जा भर दी। उन्होंने कहा कि यह माता सीता की धरती है। यहां से कोई धर्म, जात या क्षेत्र नहीं पूछता। यहां तो हर भक्त मां सीता का आशीर्वाद लेकर भारत की एकता की शपथ लेता है। उनका यह संवाद केवल चुनावी भाषण नहीं, बल्कि एक राष्ट्र चेतना का संदेश है। सीतामढ़ी से लेकर कैमूर तक, शाह का यह राष्ट्रवादी एजेंडा जाति की दीवारें तोड़ता दिख रहा है।

मतदाताओं में बदलाव की लहर ग्रामीण इलाकों में अब यह चर्चा आम है कि कौन यादव, कौन कुशवाहा, कौन ब्राह्मण-अब सब हिन्दू हैं, सब भारतीय हैं। युवा मतदाताओं में यह सोच गहराई से बैठ रही है कि जातीय राजनीति अब पुरानी बात है। शाह का संदेश- हम एक धर्म, एक झंडा, एक भारत के नागरिक हैं। यह लोगों के मन में उतर रहा है। बक्सर के युवा अमन तिवारी कहते हैं कि पहले हम जात देखकर वोट करते थे, अब देश देखकर करेंगे। अगर सीमा सुरक्षित है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित है।

शाह की अपील : वोट उस भारत के लिए दीजिए, जो मजबूत खड़ा रहे अमित शाह का यह चुनावी मंत्र अब बिहार के जनमानस में गूंज रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और गठबंधन की राजनीति हमेशा विभाजन करती है। हम एकता का संदेश लेकर आए हैं। जाति से ऊपर उठकर सोचिए, वोट दीजिए उस भारत के लिए जो आतंक पर चोट करे, अर्थव्यवस्था को मजबूती दे और हर हिन्दू को सुरक्षा का भरोसा दे।

बिहार के मतदाता इतिहास रचने को तैयार प्रथम चरण के मतदान से यह स्पष्ट हो गया है कि इस बार मुद्दे जातीय समीकरण नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, हिंदू एकता और विकास हैं। शाह के नेतृत्व में एनडीए ने बिहारी अस्मिता को भारतीय राष्ट्रवाद से जोड़ दिया है। गया के बुजुर्ग मतदाता शिवशंकर चौधरी कहते हैं कि पहले जात के नेता आते थे, अब देश के नेता आ रहे हैं। शाह के भाषण में जाति नहीं, देश की बात है। यही असली राजनीति है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश

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