
काठमांडू, 5 नवंबर (हि.स.)। नेपाल और भारत ने द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को और सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से सात बिंदुओं पर एक समझौता किया है, जिसमें बिजली के आदान-प्रदान और सीमा-पार ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार को शामिल किया गया है।
यह समझौता 3 और 4 नवम्बर को पोखरा में आयोजित नेपाल-भारत ऊर्जा सहयोग पर संयुक्त तकनीकी टीम की 17वीं बैठक के दौरान अंतिम रूप से तय किया गया। बैठक की सह-अध्यक्षता नेपाल के ऊर्जा, जलस्रोत तथा सिंचाई मन्त्रालय के सह-सचिव संदीप कुमार देव और भारत के केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुख्य अभियन्ता भगवान सहाय भैरव ने की।
मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने बिजली के आदान-प्रदान, ट्रांसमिशन प्रणाली के सुदृढ़ीकरण तथा नई सीमा-पार ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण पर विस्तृत चर्चा के बाद सात प्रमुख बिंदुओं पर सहमति बनाई।
मुख्य समझौते
1. चमेलिया–जौलजीबी 220 केवी ट्रांसमिशन लाइन:
दोनों पक्षों ने अपने-अपने विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) प्रस्तुत किए। संयुक्त DPR नवंबर 2025 तक पूरा किया जाएगा और परियोजना दिसंबर 2027 तक सम्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है।
2. बुटवल–गोरखपुर 400 केवी लाइन:
इस नई लाइन को अस्थायी रूप से 220 केवी पर संचालित करने का निर्णय हुआ है। इसके साथ ही, विद्युत् आदान-प्रदान क्षमता को अंतिम रूप देने के लिए उत्तर प्रदेश ट्रांसमिशन कम्पनी के साथ 15 दिनों के भीतर पुनः बैठक की जाएगी।
3. धलकेबर–मुजफ्फरपुर और धनकेबर–सीतामढ़ी लाइन की क्षमता समीक्षा:
समीक्षा के बाद यह निर्धारित किया गया कि नेपाल इन लाइनों के माध्यम से अधिकतम 1,500 मेगावाट बिजली निर्यात और 1,400 मेगावाट आयात कर सकता है।
4. निजगढ–मोतीहारी 400 केवी लाइन:
इस परियोजना का DPR तैयार करने के लिए नेपाल एक माह के भीतर आवश्यक तकनीकी विवरण भारत को उपलब्ध कराएगा। यह लाइन संयुक्त रूप से विकसित की जाएगी।
5. लमही–लखनऊ 400 केवी लाइन:
दोनों पक्षों ने यह तय किया कि DPR तैयार करने से पहले इस प्रस्तावित लाइन का नेपाली पक्ष पर अंतिम बिंदु — लमही या कोहलपुर — संयुक्त रूप से तय किया जाएगा।
6. HTLS प्रौद्योगिकी का उपयोग:
दोनों देशों ने सहमति दी कि धलकेबर–मुजफ्फरपुर 400 केवी लाइन के पुनर्निर्माण में हाई-टेम्परेचर लो-सैग (HTLS) तकनीक का उपयोग किया जाएगा ताकि उच्च तापमान की स्थिति में भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहे।
7. पुरानी लाइनों का आधुनिकीकरण:
रक्सौल–परवानीपुर और रामनगर–गंडक 132 केवी लाइनों में वर्तमान कंडक्टरों को HTLS कंडक्टरों से बदलने के लिए संयुक्त अध्ययन किया जाएगा ताकि ट्रांसमिशन क्षमता बढ़ाई जा सके।
बैठक में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने इस बात पर भी पुनः जोर दिया कि नेपाल और भारत ऊर्जा नेटवर्क को सुदृढ़ करने और आपसी बिजली व्यापार को विस्तार देने में सहयोग जारी रखेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास