अबुजा, 05 नवम्बर (हि.स.)। नाइजीरिया की सरकार ने अमेरिका द्वारा उसे “धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाला देश” घोषित करने के फैसले को खारिज कर दिया है। नाइजीरियाई सरकार का कहना है कि यह निर्णय भ्रमित करने वाली सूचनाओं और गलत आंकड़ों पर आधारित है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते नाइजीरिया को फिर से उन देशों की सूची में शामिल किया था, जहां कथित रूप से धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर नाइजीरिया “ईसाइयों की हत्याओं पर लगाम” नहीं लगाता, तो अमेरिका “तेज सैन्य कार्रवाई” पर विचार कर सकता है। इस कदम से दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है।
नाइजीरिया के सूचना मंत्री मोहम्मद इदरीस ने प्रेस वार्ता में कहा कि ट्रंप के सैन्य कार्रवाई के बयान अनुचित और भ्रामक हैं। उन्होंने कहा- “जो भी दावा यह कहता है कि नाइजीरियाई सरकार धार्मिक हिंसा पर कार्रवाई नहीं कर रही, वह गलत सूचनाओं और त्रुटिपूर्ण डेटा पर आधारित है।”
नाइजीरिया के रक्षा प्रमुख जनरल ओलुफेमी ओलुएडे ने कहा कि देश में धार्मिक उत्पीड़न नहीं, बल्कि आतंकवाद की समस्या है। उन्होंने बताया कि सरकार ने मई 2023 में राष्ट्रपति बोला टीनूबू के कार्यभार संभालने के बाद से आतंकवाद से निपटने में उल्लेखनीय प्रगति की है।
इदरीस ने कहा कि अब तक 13,500 आतंकियों को मार गिराया गया, 17,000 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया और 11,200 बंधकों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं को मुक्त कराया गया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवाद का असर ईसाइयों और मुसलमानों दोनों पर पड़ता है। सरकार का लक्ष्य सैन्य कार्रवाई, क्षेत्रीय सहयोग और अंतरराष्ट्रीय संवाद के माध्यम से उग्रवाद को समाप्त करना है।
नाइजीरिया, जो 200 से अधिक जातीय समूहों और विभिन्न धर्मों का घर है, लंबे समय से धार्मिक सहअस्तित्व का प्रतीक रहा है, लेकिन कभी-कभी जातीय तनाव और संसाधनों की होड़ के कारण हिंसा भड़क उठती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय