पाक-अफगानिस्तान के बीच इस्तांबुल में शांति वार्ता का छठा दौर शुरू

युगवार्ता    06-Nov-2025
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पाक


इस्तांबुल, 6 नवंबर (हि.स.)। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा संघर्षों को कम करने और सीमा-पार उग्रवाद को रोकने के उद्देश्य से चल रही द्विपक्षीय शांति वार्ता का छठा दौर गुरुवार को इस्तांबुल में शुरू हुआ।

तुर्कियें के विदेश विभाग ने यहां एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि ये दाे दिवसीय वार्ता इस्तांबुल के ऐतिहासिक बेयोग्लू जिले में एक गोपनीय स्थान पर शुरू हुई। इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडलों ने हिस्सा ले रहे हैं। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश सचिव अमना बलोच ने किया, जिसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। अफगान प्रतिनिधिमंडल कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के नेतृत्व में आया है, जिसमें कबायली बुजुर्ग और सुरक्षा अधिकारी भी वार्ता में भाग ले रहे हैं।

बयान के मुताबिक इस दौर की बातचीत तीन प्रमुख मसलाें पर आधारित है जिसमें अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सुरक्षित ठिकानों को खत्म करना, डूरंड लाइन सीमा पर विवादों का समाधान, और बंद व्यापारिक गलियारों काे दाेबारा खाेलना । इससे द्विपक्षीय व्यापार सालाना पांच अरब डॉलर तक बढ़ सकता है।

वार्ता के आरंभ में तुर्कियें के विदेश मंत्री हाकन फिदान ने कहा, “इस्तांबुल प्रक्रिया ने मुश्किल समय में बातचीत की शुरूआत की हैै। तुर्किये दाेनाें देशाें के बीच संयुक्त सीमा गश्त से लेकर आर्थिक प्रोत्साहनों तक विश्वास-निर्माण उपायों को सुगम बनाने के लिए तैयार है।”

गाैरतलब है कि दाेनाें देशाे के बीच शांति वार्ताओं का यह दाैर 2,600 किलोमीटर (1,600 मील) लंबी सीमा पर झड़पाे के बाद आरंभ हुआ है। अक्टूबर में सीमा-पार झड़पों और टीटीपी द्वारा किए गए हमलों में 50 से अधिक लोग मारे गए, जिसमें खैबर दर्रे के पास एक आत्मघाती बम विस्फोट में 28 पाकिस्तानी सैनिक की माैत की घटना भी शामिल हैं। पाकिस्तान तालिबान पर टीटीपी लड़ाकों को आश्रय देने का आरोप लगाता है, जबकि अफगानिस्तान का कहना है कि पाकिस्तान के हवाई हमलों ने अफगान क्षेत्र में नागरिकों की मौत और शरणार्थी प्रवाह को बढ़ाया है।

इस बीच एक वरिष्ठ पाकिस्तानी राजनयिक के मुताबिक “पिछले दौरों में खुफिया जानकारी साझा करने पर प्रगति हुई है, लेकिन प्रवर्तन अभी भी बाधा है। टीटीपी को प्रत्यर्पित या निष्क्रिय किया जाना चाहिए। इससे कम पर सुलह और अधिक खूनखराबे काे न्योता देगी।”

अफगान पक्ष से कार्यवाहक विदेश मंत्री मुत्ताकी ने टोलो न्यूज को दिए बयान में संप्रभुता पर जोर दिया। उन्हाेंने कहा, “अफगानिस्तान पड़ोसियों के उकसावे की बजाय शांति चाहता है। हम डूरंड लाइन के साथ एक गैर-सैन्यीकृत 'बफर जोन' का प्रस्ताव करते हैं, जिसकी निगरानी तटस्थ पर्यवेक्षकों द्वारा की जाए, ताकि दोनों पक्षों से घुसपैठ रोकी जा सके।”

डूरंड लाइन दाेनाें देशाें के बीच 1893 के औपनिवेशिक काल में निर्धारित की गई सीमा है जिसे अफगानिस्तान मान्यता नहीं देता और यहीं आज दाेनाे देशाें के बीच विवाद का कारण बन रही है।

इस बीच अफगान सुलह के लिए अमेरिकी विशेष दूत थॉमस वेस्ट, जो गुप्त रूप से प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं, ने बयान जारी कर छठे दौर की इस वार्ता की प्रशंसा करते हुए इसे “क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक बताया है। चीन, ने भी दाेनाें देशाें से बातचीत आगे बढ़ाने की अपील की है।

विज्ञप्ति के मुताबिक यह वार्ता शुक्रवार तक जारी रहेगी और वार्ताओं के बारे में एक संयुक्त बयान जारी किए जाने की उम्मीद है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल

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