
- लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा में उतरा बिहार, 'बाहुबल बनाम बदलाव' का मुकाबला- बाहुबली भी चुनाव मैदान में, तेजस्वी और तेज प्रताप की सीटों पर सबकी निगाहें
पटना, 06 नवम्बर (हि.स.)। बिहार में पहले चरण के मतदान के साथ सियासी संग्राम की असली परीक्षा शुरू हो गई है। गुरुवार सुबह 7 बजे से ही मतदाता 18 जिलों की 121 सीटों पर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन, इस बार का मुकाबला सिर्फ उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि बाहुबल और परिवारवाद बनाम जनमत के बीच है।
राजनीतिक विश्लेषक लव कुमार मिश्र एवं चन्द्रमा तिवारी मानते हैं कि यह चुनाव बिहार के राजनीतिक डीएनए की परीक्षा है। क्या जनता पुरानी परम्पराओं को दोहराएगी या नई सोच को रास्ता देगी? पहले चरण में बाहुबली उम्मीदवार भी मैदान में हैं। इनमें से कई जेल से या जमानत पर चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ सीटें ऐसी हैं जहां बंदूक की छाया अब भी लोकतंत्र के सिर पर मंडरा रही है। वहीं, आरजेडी के दो सगे भाई तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव की सीटें भी इसी चरण में हैं, इसलिए राजनीतिक तापमान और बढ़ा हुआ है। एक तरफ राजनीति में अपराध का चेहरा बने नेता वोट मांग रहे हैं तो दूसरी तरफ युवा चेहरे बदलाव की बात कर रहे हैं।
तेजस्वी-तेज प्रताप बनाम सत्ता समीकरण
इस चरण में तेजस्वी यादव (राघोपुर) और तेज प्रताप यादव (महुआ) की सीटें सबसे चर्चित हैं। राघोपुर में भाजपा के सतीश कुमार यादव ने लालू परिवार की विरासत को सीधी चुनौती दी है। वहीं, महुआ में तेज प्रताप के सामने आरजेडी के बागी मुकेश कुमार रोशन और लोजपा के संजय सिंह हैं। दोनों सीटें यादव परिवार की साख से जुड़ी हैं, इसलिए इस चरण का राजनीतिक तापमान बाकी चरणों से अधिक है।
मोकामा: लोकतंत्र की चौखट पर बाहुबल की चुनौती
मोकामा सीट पर हमेशा की तरह बाहुबल की राजनीति की छाया गहरी है। दुलारचंद यादव की हत्या के बाद यह इलाका फिर सुर्खियों में आया है। यहां आरजेडी की वीणा देवी और बाहुबली छवि वाले पूर्व विधायक अनंत सिंह आमने-सामने हैं। स्थानीय मतदाता कह रहे हैं कि अब मोकामा तय करेगा कि डर चलेगा या विचार।
तारापुर और अलीनगर में नए समीकरण
तारापुर में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और आरजेडी के अरुण कुमार आमने-सामने हैं। यह सीट एनडीए के मनोबल की कसौटी बन गई है। वहीं, अलीनगर में भाजपा उम्मीदवार लोक गायिका मैथिली ठाकुर का सामना आरजेडी के विनोद मिश्रा से है। यहां मुकाबला केवल दलों का नहीं, बल्कि युवा बनाम अनुभव की विचारधारा का प्रतीक है।
बिहार की जनता दे रही है सियासत को दिशा
विश्लेषकों का कहना है कि आज का मतदान बिहार की राजनीतिक दिशा और सत्ता समीकरणों को बहुत हद तक तय करेगा। बाहुबली प्रभाव वाले जिलों में जनता का रुझान यह संकेत देगा कि क्या बिहार सच में बदलना चाहता है या फिर पुराना समीकरण ही दोहराया जाएगा। तेजस्वी यादव राघोपुर सीट से मैदान में हैं। जबकि तेज प्रताप महुआ से अपनी सीट बचाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। दोनों के सामने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के प्रत्याशी सधी हुई रणनीति के साथ उतरे हैं।
जनता का मूड : बदलाव या दोहराव
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बाहुबलियों के प्रभाव वाले जिलों में जनता का रुझान इस चुनाव की दिशा तय करेगा। मतदान केंद्रों पर युवाओं की लंबी कतारें इस संकेत की तरह दिख रही हैं कि बिहार डर और दबदबे की राजनीति से थक चुका है। लोग कह रहे हैं कि अब वोट डर से नहीं, विचार से पड़ेगा।
बदलाव और बाहुबल की जकड़न से मुक्ति के संकेत दे रहे मतदाता मतदान शांतिपूर्ण तरीके से जारी है, लेकिन कई जिलों में मतदाताओं की कतारें यह संकेत दे रही हैं कि जनता इस बार बदलाव और बाहुबल की जकड़न से मुक्ति दोनों चाहती है। बिहार की राजनीति में पहली बार इतने स्पष्ट रूप से 'बाहुबल बनाम बदलाव' का मुकाबला देखने को मिल रहा है।
क्यों नहीं मिट पा रहा बाहुबलियों का असर
बिहार में राजनीति और अपराध का गठजोड़ दशकों पुराना है। राजनीतिक दल जानते हैं कि स्थानीय दबदबा, जातीय संतुलन और डर की मनोवृत्ति कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। प्रशासनिक सख्ती और युवाओं के बढ़ते राजनीतिक जागरण के बावजूद बाहुबली चेहरों की मौजूदगी बताती है कि बदलाव की राह अब भी कठिन है। लेकिन, इस बार जनता के मूड में एक फर्क है। लोग कह रहे हैं कि अब डर नहीं, दिशा चुननी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश