
कोयंबटूर, 06 नवंबर (हि.स.)। कोयंबटूर में शुक्रवार से शुरू होने वाला 'अखिलभारतीयम् अधिवेशनम् 2025', भारत की आत्मा, आस्था और आचार का अद्वितीय संगम बनने जा रहा है। यह एक ऐसा महाकुंभ होगा, जहां संस्कृत की वाणी गूंजेगी और भारत का शाश्वत संस्कार झलकेगा। यह तीन दिवसीय अधिवेशन संस्कृतभारती की ओर से आयोजित 7 से 9 नवम्बर तक कोयंबटूर के अमृता विश्व विद्यापीठम्, एट्टिमडई में भव्य रूप से होगा, जिसमें देशभर से संस्कृतप्रेमी, विद्वान, शिक्षाविद् और संस्कृति-संरक्षक भाग लेंगे।
उद्घाटन सत्र में तिरुप्पुक्कोजियूर आधीनम्, अविनाशी के श्रीला श्री कामाक्षिदास स्वामीगल, माता अमृतानंदमयी मठ के स्वामी तपस्यमृतानंदपुरी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले आशीर्वचन प्रदान करेंगे। अध्यक्षता संस्कृतभारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो. गोपबन्धु मिश्र करेंगे, जबकि विशेष अतिथि के रूप में मद्रास संस्कृत कॉलेज के डॉ. मणि द्रविड शास्त्री और आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रो. बी.एस. मूर्ति उपस्थित रहेंगे। प्रस्ताविक उद्बोधन अखिल भारतीय महामंत्री सत्यनारायण भट्ट देंगे।
इस अवसर पर भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित प्रदर्शनी भी 6 से 9 नवम्बर तक आयोजित की गई है, जिसमें वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, गणित, वास्तु और नाट्यशास्त्र जैसी विधाओं की झलक मिलेगी। अधिवेशन में संस्कृत शिक्षण की नई पद्धतियों, आधुनिक प्रौद्योगिकी से समन्वय, युवाओं में भाषा के प्रति आकर्षण तथा 'वेद से विज्ञान तक' और 'संस्कृति से समरसता तक' जैसे विषयों पर विशेषज्ञों के सत्र होंगे। सांस्कृतिक संध्याओं में वैदिक नृत्य, संगीत और नाट्य रूपांतरणों के माध्यम से भारतीय जीवन मूल्यों का प्रदर्शन किया जाएगा।
संस्कृतभारती का यह अधिवेशन भारतीय संस्कृति की जड़ों से पुनः जुड़ने का प्रयास है, जो भारत की गौरवशाली परंपरा, ज्ञान और वैदिक चिंतन को आधुनिक युग की चेतना से जोड़ने का संदेश देगा। यह आयोजन न केवल भाषाई गौरव का उत्सव है, बल्कि संस्कृति, संस्कार और राष्ट्रीय अस्मिता के पुनरुत्थान का प्रतीक भी बनेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी