राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होना “विविधता में एकता के महादेश भारत” की सामूहिक कंठ ध्वनि का स्वस्फूर्त जन उत्सव: गजेन्द्र सिंह शेखावत

युगवार्ता    06-Nov-2025
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केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत


प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए गजेन्द्र सिंह शेखावत


प्रदर्शनी में रखी गई वंदे मातरम गीत के सबसे पहले गायन की रिकॉर्डिंग


वंदे मातरम पर बनाई गई चित्रों की प्रदर्शनी


नई दिल्ली, 6 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होना “विविधता में एकता के महादेश भारत” की सामूहिक कंठ ध्वनि का स्वस्फूर्त जन उत्सव है। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय गीत ने हमारी इतिहास की धारा को बदल कर रख दिया जो कई दशकों से राष्ट्रभक्ति की सामूहिक चेतना बन गई है। वे गुरुवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर आयोजित प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर संस्कृति मंत्रलाय के सचिव विवेक अग्रवाल भी मौजूद रहे।

150 साल पहले वंदे मातरम गीत के लिखे जाने और उसे स्वरबद्ध करने तक के अनूठे सफर को दर्शाते हुए प्रेरणादायक प्रदर्शनी के उद्धाटन समारोह में उन्होंने बताया कि वंदे मातरम के डेढ़ सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में अगले एक साल तक कई कार्यक्रम स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित किए जाएंगे। इसकी शुरुआत

शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंदे मातरम् के 150 वर्षों को समर्पित वर्षभर के राष्ट्रव्यापी समारोह से करने जा रहे हैं, जिसका एक उद्देश्यपूर्ण पक्ष यह भी है कि स्वतंत्रता पूर्व का यह अमर गीत अब स्वतंत्रता के अमृतकाल में विकसित भारत निर्माण के जनआंदोलन के स्वर के रूप में भी गुंजायमान हो। इस मौके पर वे एक डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी करेंगे। इस अवसर पर करीब दस बजे स्टेडियम सहित कई सार्वजनिक स्थलों पर ‘वंदे मातरम्’ के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री सहित समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल होंगे।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1875 में पूज्य बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने इसकी रचना की और भारत की आत्मा को स्पर्श कर लेने की अपनी अगाध क्षमता से ‘आनंदमठ’ उपन्यास का यह भाग भारत की आजादी के आंदोलन का नाद बन गया। अक्षय नवमी के दिन लिखा गया गीत सदियों से लोगों के बीच राष्ट्रभक्ति की सामूहिक चेतना बन गई। वंदे मातरम केवल एक नारा नहीं है बल्कि राष्ट्र के प्रति अपने भक्ति का समर्पण है। राष्ट्रभक्ति को जागृत करने वाले इस गीत का गायन सभी कॉलेजों में किया जाएगा।

इस मौके पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि वंदे मातरम गीत के 150 साल पूरे होने के मौके पर मंत्रालय ने एक पोर्टल भी जारी किया है, जिस पर लोग अपनी आवाज में इस गीत को गाकर पोस्ट कर सकते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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