
नई दिल्ली, 7 नवंबर (हि.स.)। भारत की गैर-लाभकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स को आज रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार एजुकेट गर्ल्स को मनीला (फिलीपींस) के मेट्रोपॉलिटन थिएटर में शुक्रवार को आयोजित एक समारोह में दिया गया। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की घोषणा 31 अगस्त 2025 को की गई थी। यह जानकारी शुक्रवार को एक विज्ञप्ति जारी करके दी गई।
पुरस्कार ग्रहण करते हुए एजुकेट गर्ल्स की संस्थापिका सफीना हुसैन ने कहा कि यह पुरस्कार हमारी उन बालिकाओं के नाम है, जो अपने साहस, हिम्मत और दृढ़ निश्चय से हमें हर दिन प्रेरित करती हैं। वे बालिकाएं जो घर के कामकाज के बीच देर रात तक पढ़ाई करती हैं ताकि स्वयं और अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य बना सकें। यह सम्मान उन अभिभावकों, शिक्षकों, समुदाय के सदस्यों और 55,000 टीम बालिका स्वयंसेवकों के नाम है, जो हर दिन इन बालिकाओं के साथ खड़े हैं। जब समुदाय एकजुट होकर बालिका शिक्षा के लिए आगे आते हैं, तो हर लड़की को अवसर, आवाज और अपनी पहचान मिलती है।
2007 में स्थापित एजुकेट गर्ल्स ने बीते लगभग दो दशकों में गरीबी और निरक्षरता के चक्र को तोड़ने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है। यह संस्था उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार के 30,000 से अधिक गांवों में कार्यरत है। अपनी स्थापना से अब तक एजुकेट गर्ल्स ने 55,000 से अधिक सामुदायिक स्वयंसेवकों के सहयोग से 20 लाख से अधिक बालिकाओं को स्कूल से जोड़ा है और अपने उपचारात्मक शिक्षण कार्यक्रम के तहत 24 लाख से अधिक बच्चों की शिक्षा में सुधार किया है।
एजुकेट गर्ल्स की सीईओ गायत्री नायर लोबो ने कहा, “यह पुरस्कार हमें याद दिलाता है कि जब समुदाय, सरकारें, स्थानीय साझेदार, कार्मिक, स्वयंसेवक और दानदाता एक साथ आते हैं, तो शिक्षा के क्षेत्र में असंभव को संभव बनाया जा सकता है। यह हमारे सामूहिक प्रयासों और सरकारी पहलों का सम्मान है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमें हमारे अगले लक्ष्य वर्ष 2035 तक 1 करोड़ शिक्षार्थियों तक पहुंचने की प्रेरणा देता है। दुनियाभर में लाखों लड़कियां अभी भी सीखने के अवसर की प्रतीक्षा कर रही हैं और हम नहीं चाहते कि उन्हें अब और इंतजार करना पड़े।
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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव