मुख्य निर्वाचन आयुक्त के बयान और निर्देशों में विसंगति का दावा, टीएमसी ने लिखा आयोग को पत्र

युगवार्ता    07-Nov-2025
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कोलकाता, 07 नवम्बर (हि.स.)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के लिए बूथ लेवल ऑफिसरों (बीएलओ) को जारी लिखित निर्देश और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) के हालिया बयान में काफी अंतर है। पार्टी का दावा है कि इसकी वजह से कई जिलों में बीएलओ के बीच भारी भ्रम और कार्यात्मक अव्यवस्था पैदा हो गई है।

टीएमसी ने कहा कि 27 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि एसआईआर फॉर्म भरते समय व्यक्ति अपने विवरण के साथ-साथ अपने रिश्तेदार, विशेषकर चाचा के विवरण भी दर्ज करा सकता है। इससे यह संकेत मिला कि चाचा या अन्य रक्त संबंधियों के जरिए भी मैपिंग की अनुमति है, लेकिन लिखित निर्देश और बीएलओ सॉफ़्टवेयर इंटरफेस में केवल माता-पिता और दादा-दादी को ही रिश्तेदार की श्रेणी में मान्य किया गया है, जिससे सीईसी की बात का विरोधाभास उजागर होता है।

टीएमसी के नेता और मंत्री अरूप विश्वास द्वारा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि इस विसंगति के चलते बीएलओ कई सही नागरिकों का डेटा एंट्री नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वे माता-पिता / दादा-दादी की श्रेणी में नहीं आते।

टीएमसी की मांग है कि निर्वाचन आयोग मौखिक स्पष्टिकरण को आधिकारिक निर्देश पुस्तिका और बीएलओ सॉफ़्टवेयर इंटरफेस में शामिल करे, ताकि चाचा सहित अन्य रक्त संबंधियों द्वारा भी मैपिंग की अनुमति दी जा सके।

उल्लेखनीय है कि, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 के मध्य से पहले होने की संभावना है।-------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

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