‘वंदे मातरम्’ स्वतंत्रता का गीत ही नहीं, भारत के जागरण का पहला मंत्र भी : अमित शाह

युगवार्ता    07-Nov-2025
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अमित शाह


नई दिल्ली, 07 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल भारत का राष्ट्रीय गीत नहीं बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पहली घोषणा है। यह गीत भारत के जागरण और अडिग संकल्प का प्रतीक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा। वंदे मातरम् केवल शब्दों का गीत नहीं बल्कि देशभक्ति और संस्कृति की गहन भावना को व्यक्त करने वाला साधन है।

गृह मंत्रालय के अनुसार अमित शाह ने अपने ब्लॉग में लिखा कि वंदे मातरम् ने हमेशा भारतीय समाज में सामूहिक चेतना और एकता को जागृत किया। साल 1875 में जगद्धात्री पूजा के दिन बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत की रचना की थी। इसके शब्दों में प्रार्थना और भविष्यवाणी दोनों समाहित हैं। बंकिम बाबू ने यह गीत केवल साहित्यिक रचना के रूप में नहीं लिखा बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक नागरिक चेतना को जगाने का पहला संदेश था। उन्होंने कहा कि यह गीत भाषा और क्षेत्र की सीमाओं को पार करते हुए पूरे भारत में गूंजा। तमिलनाडु में सुब्रमण्यम भारती ने इसे तमिल में प्रस्तुत किया और पंजाब में स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ नारे के रूप में गाया।

अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम् ने भारत के विभाजन, गदर पार्टी, आजाद हिंद फौज और रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह में भी लोगों में साहस और एकता पैदा की। महात्मा गांधी ने भी माना कि इस गीत में इतनी शक्ति है कि यह सबसे सुस्त रक्त को भी झकझोर सकता है। उन्होंने बंकिम चंद्र के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह गीत आज भी हमें अपने इतिहास, संस्कृति, मूल्य और परंपराओं के महत्व का स्मरण कराता है।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अक्टूबर को मन की बात में वंदे मातरम् की गौरवशाली विरासत की याद दिलाई थी। इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक साल तक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से वंदे मातरम् का पूर्ण संस्करण देशभर में गूंजेगा और युवाओं में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना को मजबूत करेगा। यह गीत केवल अतीत की याद नहीं बल्कि भविष्य की प्रेरणा भी है और यह हमें विकासशील भारत 2047 के लिए आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और नए भारत की दिशा में मार्गदर्शन करता रहेगा।

उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् आज भी देशवासियों को एकजुट करने, राष्ट्रीय गौरव और सामूहिक चेतना जगाने का कार्य करता है। यह गीत हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति और जिम्मेदारी की भावना पैदा करता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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