अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को जल प्रबंधन के लिए आगाह किया

युगवार्ता    08-Nov-2025
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इस्लामाबाद में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के स्थानीय प्रतिनिधि माहिर बिनिसी। फोटो- फाइल


इस्लामाबाद, 08 नवंबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को जल संसाधन प्रबंधन के लिए आगाह किया है। आईएमएफ ने कहा कि ऐसा बेहद जरूरी है, क्योंकि सरकार को बड़े बांधों को जल्द पूरा करने के लिए 3.3 ट्रिलियन रुपये की जरूरत है। इस्लामाबाद में आईएमएफ के स्थानीय प्रतिनिधि माहिर बिनिसी ने शुक्रवार को यह चेतावनी सतत विकास नीति संस्थान (एसडीपीआई) के चार दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र में दी।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, माहिर की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब पाकिस्तान दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हर साल कुछ समय तक पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। बिनिसी ने कहा कि पाकिस्तान को अपने सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत लचीले अवसंरचना में निवेश करने की आवश्यकता है, जिससे बाढ़ आपदा के आर्थिक प्रभाव को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि आईएमएफ कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 2027 तक अपने टैक्स से जीडीपी अनुपात को बढ़ाकर 13.5 फीसद करना होगा।

आईएमएफ के प्रतिनिधि ने अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद कई चुनौतियों के बारे में भी बात की। बिनिसी ने कहा कि पाकिस्तान को सतत आर्थिक विकास के लिए अपने कमजोर राजस्व आधार, कमजोर शासन और अपने सीमित निर्यात आधार का विस्तार करने की जरूरत है।

पाकिस्तान में विश्व बैंक के प्रतिनिधि बोलोरमा अमगाबाजार ने कहा कि 2022 की बाढ़ से 30 अरब डॉलर के आसपास का नुकसान हुआ है। पाकिस्तान प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील है और हाल ही में आई बाढ़ से भी 2.9 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। नेस्ले पाकिस्तान के प्रबंध निदेशक जेसन अवंसेना ने कहा कि उनकी कंपनी ने जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तीन करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश किया है।

इस संबंध में सूत्रों ने कहा कि नागरिक सैन्य नेतृत्व जलाशयों के निर्माण के लिए कई विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। हाल ही में संघीय सरकार ने 2029-30 तक इन बांधों के निर्माण के लिए प्रांतों को 3.3 ट्रिलियन रुपये की वित्तीय आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, वित्तपोषण स्रोतों के बारे में प्रांतों और संघीय सरकार के बीच आम सहमति नहीं है। संघीय सरकार का मानना ​​है कि प्रांतों को उसका राजकोषीय भार साझा करना चाहिए। हाल ही में बंद कमरे में आयोजित बैठक में महत्वपूर्ण जल अवसंरचना के निर्माण में जल एवं विद्युत विकास प्राधिकरण की भूमिका पर भी चर्चा हुई।

जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार, बजट आवंटन की वर्तमान गति से मोहमंद बांध को पूरा करने में 15 वर्ष और डायमर बांध का काम पूरा करने में 20 वर्ष से अधिक समय लगेगा। सरकार अतिरिक्त धन जुटाने के लिए सभी स्थानीय कर योग्य आपूर्तियों के सकल मूल्य पर एक फीसद उपकर लगाना चाहती थी, लेकिन आईएमएफ ने इस योजना का समर्थन नहीं किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद

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