जैन धर्म के सिद्धांत मानवता और वैश्विक शांति के मार्गदर्शक: उपराष्ट्रपति

युगवार्ता    08-Nov-2025
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सीपी राधाकृष्णन


नई दिल्ली, 8 नवंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि जैन धर्म के अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और अनेकांतवाद जैसे सिद्धांत भारत की संस्कृति की आत्मा हैं, जिन्होंने न केवल महात्मा गांधी को प्रेरित किया बल्कि आज भी वैश्विक शांति और मानवता के लिए मार्गदर्शन दे रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने शनिवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में जैन आचार्य हंसरत्न सूरिश्वरजी महाराज के अष्टम 180 उपवास पर्णा समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म की शाकाहार, करुणा और संयम पर आधारित जीवनशैली आज पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बन चुकी है। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि काशी यात्रा के बाद उन्होंने 25 वर्ष पूर्व शाकाहार अपनाया था, जिससे विनम्रता और सभी जीवों के प्रति प्रेम की भावना विकसित हुई।

राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के उन प्रयासों की सराहना की, जिनसे प्राकृत भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया और ‘ज्ञान भारतम मिशन’ के माध्यम से जैन पांडुलिपियों का संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने तमिलनाडु में जैन धर्म की ऐतिहासिक उपस्थिति और तमिल साहित्य पर इसके गहरे प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘शिलप्पथिकारम’, ‘पेरुंगथै’ और ‘तिरुक्कुरल’ जैसी रचनाएं जैन दर्शन की भावना को दर्शाती हैं।

उपराष्ट्रपति ने आचार्य हंसरत्न सूरिश्वरजी महाराज के “सेव कल्चर, सेव फैमिली, बिल्ड नेशन” अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह समाज को मूल्यों, परिवार और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में प्रेरित करने वाला संदेश है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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