
नई दिल्ली, 8 नवंबर (हि.स.)। मिजोरम के राज्यपाल जनरल (रि.) डॉ. वीके सिंह ने शनिवार को कहा कि जब तक हम आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तब तक सच्चा विकास संभव नहीं है।राज्यपाल डॉ. सिंह अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद द्वारा डॉ. अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में विकसित भारत 2047 विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य पूर्व सैनिकों के कल्याण को बढ़ावा देना तथा राष्ट्रीय विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर विचार-विमर्श करना था। सेमिनार में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव भी उपस्थित रहे। सेमिनार में वक्ताओं ने आर्थिक आत्मनिर्भरता, समाजवादी सोच से मुक्ति, महिला सशक्तिकरण और हरित विकास जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की। डॉ. सिंह ने कहा कि चीन के दौर को देखें, उन्होंने आर्थिक रूप से क्रांतिकारी बदलाव किया। उन्होंने कहा कि अलग-अलग चीजों पर बात करने के बजाय उद्योग और मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस करें। जब तक हम अपनी जरूरतों को समझकर काम नहीं करेंगे, तब तक कुछ हासिल नहीं होगा। उन्होंने एमएसएमई सेक्टर का उल्लेख कर कहा कि गाजियाबाद जैसे क्षेत्रों में दो प्रमुख उद्योग स्थापित हो चुके हैं। कृषि क्षेत्र में भी बदलाव पर जोर देते हुए सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में अपनी प्राकृतिक उपज को बेचें। प्राकृतिक खेती पर धीरे-धीरे जोर दिया जा रहा है, लेकिन लोगों में विश्वास जगाना जरूरी है कि इससे नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि लक्ष्य बड़ा होना चाहिए, तभी कुछ बड़ा किया जा सकता है। उन्होंने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के हवाले से कहा कि आज के समय में पैसे की कमी नहीं है। ई-गवर्नेंस से देश को भारी लाभ मिल रहा है। पारदर्शिता आने पर भ्रष्टाचार समाप्त हो जाता है।डॉ. सिंह ने कहा कि कोई भी देश तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक वह आर्थिक रूप से सशक्त न बन जाए। समाज समावेशी और न्यायपूर्ण न होने पर प्रगति असंभव है। उन्होंने 1947 की समाजवादी सोच का जिक्र करते हुए कहा कि समाजवाद ने सबको काम देने का वादा किया, लेकिन अब लोगों को समझने का समय आ गया है। समाजवादी सोच से बाहर आना होगा। पिछले 11 वर्षों में गरीबी की दर में उल्लेखनीय कमी आई है।महिला सशक्तिकरण पर सिंह ने कहा कि आज 14 प्रतिशत कार्यबल महिलाओं का है, लेकिन 2047 तक इसे 35-40 प्रतिशत तक पहुंचाना होगा। जो डेटा को कंट्रोल करेगा, वही देश आगे बढ़ेगा। दूसरों पर निर्भर रहने से प्रगति नहीं होती। समय आ गया है कि अपनी चीजें खुद बनाएं, बिना किसी विदेशी सहयोग के। पर्यावरण संरक्षण पर उन्होंने कहा कि हरित भारत और स्वच्छ भारत सिर्फ नारे नहीं होने चाहिए। इन पर ठोस काम जरूरी है ताकि विकसित भारत का सपना साकार हो। पर्यावरण शिक्षा बचपन से ही दी जानी चाहिए। ------------
हिन्दुस्थान समाचार / माधवी त्रिपाठी