
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा में सामूहिक बलात्कार की शिकार एक पीड़िता के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से पीड़िता के बयानों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। आयोग ने पीड़िता के बयानों के आधार पर की रिपोर्ट दर्ज करने में लापरवाही और रिश्वतखोरी पर पुलिस प्रमुख से जांच कर जबाव दाखिल करने को कहा है।
मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, आरोप है कि पीड़िता के पति को पुलिस चौकी में गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखा गया और उसकी रिहाई के लिए पुलिसकर्मियों ने एक लाख बीस हजार रुपये की रिश्वत मांगी। पीड़िता द्वारा पचास हजार रुपये देने के बावजूद उसे छोड़ा नहीं गया। इसके अलावा खुर्जा थाने के प्रभारी (एसएचओ) पर पीड़िता के साथ यौन शोषण का आरोप भी लगा है। आयोग ने कहा कि यदि मीडिया रिपोर्ट में दिखाए गए तथ्य सही हैं तो यह पीड़िता और उसके पति दोनों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। इसलिए आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर पूरे प्रकरण पर दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।
आयोग ने बताया कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 17 नवंबर को प्रकाशित खबर में बताया गया कि वर्ष 2024 में पीड़िता अपने पति के एक परिचित के बुलावे पर अलीगढ़ एक प्रदर्शनी देखने गई थी। वहां उसे नशा देकर डेढ़ महीने तक कैद में रखा गया और सामूहिक बलात्कार किया गया। इस दौरान उसका जबरन धर्म परिवर्तन भी कराया गया। किसी तरह आरोपियों से बचकर निकलने के बाद पीड़िता एक पुलिस चौकी पहुंची, जहां उसने शिकायत दर्ज करानी चाही। आरोप है कि पुलिस ने उसके पति को बुलाया और बाद में कहासुनी होने पर उसे मारपीट कर हिरासत में ले लिया।
आयोग ने इस मामले को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा है कि पुलिस की भूमिका की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक कदम तत्काल उठाए जाने चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर