
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने भारत में धूमधाम से मनाए जाने वाले दीपोत्सव दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया है। इसमें घाना, जॉर्जिया, कांगो, इथियोपिया और मिस्र सहित कई देशों के सांस्कृतिक प्रतीक और लोक परंपराएं भी शामिल हैं।
यह निर्णय यहां लाल किला परिसर में आयोजित यूनेस्को की एक महत्वपूर्ण बैठक में बुधवार को लिया गया। पैनल का 20वां सत्र 8-13 दिसंबर तक लाल किले में चल रहा है। यह पहली बार है जब भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए अंतरसरकारी समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है।
यूनेस्को ने जैसे ही दीपावली को प्रतिष्ठित सूची में शामिल किए जाने की घोषणा की, लाल किला- जया श्रीराम और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा। घोषणा के बाद मौके पर मौजूद लोग खुशी से झूम उठे। बैठक में शामिल केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भारतीय दल के अन्य सदस्यों ने इस अवसर पर पारंपरिक पगड़ी पहन रखी थी।
यूनेस्को की इस घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को ही विशेष दीपावली समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है, ताकि दुनिया के सामने भारत की आध्यात्मिक- सांस्कृतिक पहचान को और अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सके। यूनेस्को की इस सूची में दुनिया की ऐसी सांस्कृतिक और पारंपरिक चीजों को शामिल किया जाता है, जिन्हें छू नहीं सकते लेकिन अनुभव किया जा सकता है। इसे अमूर्त विश्व धरोहर भी कहते हैं। इसका मकसद है कि ये सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहें और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचें।
फिलहाल भारत की 15 सांस्कृतिक परंपराएं पहले से अमूर्त विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित हैं। इनमें वेद पठन (2008), कुटियट्टम (2008), रामलीला (2008), राम्मन (2009), मुदियेट्ट (2010), कालबेलिया लोक गीत और नृत्य (2010), छऊ नृत्य (2010), लद्दाख में बौद्ध पाठ (2012), मणिपुर का संकीर्तन (2013), जंडियाला गुरु के ठठेरा बर्तन निर्माण (2014), योग (2016), नवरोज (2016), कुंभ मेला (2017), कोलकाता की दुर्गा पूजा (2021) और गुजरात का गरबा (2023) शामिल हैं। अब दीपावली (2025) के जुड़ जाने से भारत की सांस्कृतिक धरोहर सूची और अधिक समृद्ध हो गई है।
दीपावली को मिली इस वैश्विक पहचान पर उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने एक्स पोस्ट में कहा कि यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। दीपावली केवल त्योहार नहीं बल्कि भारत के सभ्यतागत मूल्यों का प्रतीक है, जो समाज में धर्म, आशा, एकता और प्रकाश का संदेश देता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पोस्ट में कहा कि दीपावली भारतीय जीवनदृष्टि और सांस्कृतिक आत्मा से गहराई से जुड़ी है और यूनेस्को सूची में शामिल किए जाने से इसका वैश्विक प्रभाव और बढ़ेगा। प्रभु श्रीराम के आदर्श मानवजाति का सदैव मार्गदर्शन करेंगे।
गृहमंत्री अमित शाह ने इसे भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं की विश्व स्तर पर स्वीकृति का महत्वपूर्ण संकेत बताया। उन्होंने कहा कि दीपावली का संदेश अच्छाई की विजय और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री शेखावत ने इसे भारतीय लोक कला और संस्कृति के सम्मान का क्षण बताया। शेखावत ने दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किए जाने की घोषणा के बाद एक बयान में कहा कि दीपावली भारत के उन चिरस्थायी त्योहारों में से एक है जो अब दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को पारंपरिक दीयों से सजाते हैं और इमारतों को रोशन किया जाता है, जिससे रात में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत होता है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दीपावली केवल उत्सव नहीं बल्कि प्रकाश के अंधकार पर विजय की अनुभूति, समुदाय और उल्लास की अनुभूति है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दीपावली को मिली यह मान्यता आशा, साहस और मानवता के सार्वभौमिक मूल्यों को दुनिया के समक्ष और अधिक बल प्रदान करती है। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए लगातार कार्य किया है।
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत इतनी मजबूत है कि वह स्वयं वैश्विक उत्सव का रूप ले लेती है। प्रधानमंत्री मोदी को भारत की आत्मा को दुनिया के समक्ष प्रतिष्ठित करने के लिए धन्यवाद। उनके नेतृत्व में आज हमारी संस्कृति, हमारी विरासत और हमारे पावन पर्व मानवता, आध्यात्मिकता और सार्वभौमिक सद्भाव के प्रतीक बनकर उभर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे विश्वभर में भारतीय संस्कृति की स्वीकृति का अत्यंत उत्साहजनक क्षण बताया।
कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि यह भारतीय संस्कृति की शक्ति और इसके विश्वव्यापी प्रभाव का प्रमाण है। दुनियाभर में दीपावली का उत्सव मनाने वाले लोगों के लिए यह मान्यता गर्व का विषय है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर