
काठमांडू, 10 दिसंबर (हि.स.)। जेन–जी मूवमेंट के प्रतिनिधियों और नेपाल सरकार के बीच भ्रष्टाचार, कुप्रशासन, दण्डहीनता और सामाजिक असमानता के खिलाफ चले आन्दोलन से उठे मुख्य माँगों को सम्बोधित करते हुए बुधवार को 10 सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
समझौते में शहीद परिवारों को सम्मान, घायलों को राहत, तथा भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को सुदृढ़ करने हेतु आयोग गठन जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं शामिल हैं।
सरकार ने हालिया आन्दोलन के क्रम में हुए हिंसात्मक घटनाओं की जांच के लिए उच्च-स्तरीय आयोग गठन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
जेन–जी प्रतिनिधियों ने इस समझौते को सुशासन और युवाओं की भागीदारी के नए अध्याय के रूप में वर्णित किया है। यह समझौता नेपाल में दीर्घकालीन राजनीतिक स्थिरता में भी योगदान करने की उम्मीद है।
समझौते के अनुसार, 8 और 9 सितंबर के जेन–जी आन्दोलन के दौरान जिन व्यक्तियों की मृत्यु हुई, उन्हें शहीद घोषित किया जाएगा और उनके परिवारों को राहत तथा सहयोग प्रदान किया जाएगा।
आन्दोलन के दौरान घायल हुए लोगों को सरकार निःशुल्क उपचार, शिक्षा, रोजगार के अवसर और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराएगी। शहीदों के योगदान को सम्मानित करने के लिए एक शहीद स्मृति प्रतिष्ठान स्थापित किया जाएगा, जिसे जेन–जी नेताओं ने न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है।
समझौते में आन्दोलन के दौरान हुए मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच तथा जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता भी शामिल है, जिससे आन्दोलन के प्रतिभागियों में उत्साह बढ़ा है।
नेपाल के संविधान में सुधार के सुझाव प्रस्तुत करने के लिए एक उच्च-स्तरीय आयोग गठित करने पर भी सहमति बनी है। इसमें समानुपातिक प्रतिनिधित्व, युवा सहभागिता और निर्वाचन प्रणाली सुधार प्रमुख विषय होंगे।
समझौते में “नन ऑफ द एबभ” (NOTA) विकल्प लागू करना, प्राइमरी चुनाव कराना, तथा प्रत्याशी बनने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित करना जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं।
दस्तावेज में राज्य संस्थानों में दलगत प्रभाव समाप्त करने और भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र को मजबूत करने पर भी विशेष जोर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, एक जेन–जी परिषद गठित की जाएगी, जो सरकार को सुझाव देकर नेपाल में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को और सुदृढ़ करेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास