
कोलकाता, 10 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने, ने बुधवार को कहा कि भारत अब “बड़े और साहसिक सपने” देख रहा है और 41 वर्ष बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में कदम रखकर एक नए युग की शुरुआत कर चुका है।
एएक्सियम-4 मिशन के तहत आईएसएस तक पहुंचने वाले शुभांशु शुक्ला 18 दिन के अंतरिक्ष प्रवास के बाद 17 अगस्त, 2025 को अमेरिका से भारत लौटे थे। कोलकाता स्थित इंडियन सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में स्कूल के विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि “अंतरिक्ष एक अद्भुत जगह है, जहां गहरी शांति और समय के साथ और भी मोहक होता दृश्य देखने को मिलता है।”
उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा समय वहां रहते हैं, उतना ज्यादा आनंद मिलता है... सच कहूं तो मेरा मन वापसी का नहीं था। शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष में प्राप्त अनुभव प्रशिक्षण से बिल्कुल अलग था और वह भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।
उन्होंने कहा कि भारत का अंतरिक्ष विज्ञान भविष्य बेहद उज्ज्वल है, क्योंकि देश अब ‘बहुत बड़े और साहसिक सपनों’ को साकार करने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने अपने आईएसएस मिशन को ‘विजन गगनयान’ की दिशा में एक “महत्वपूर्ण सीढ़ी” बताया और कहा कि इस मिशन से जो अनुभव मिला है, वह राष्ट्रीय संपत्ति है और इसे अब डिजाइन टीमों और विशेषज्ञ समितियों द्वारा आगामी मिशनों को सही दिशा देने के लिए उपयोग किया जा रहा है।
शुक्ला ने कहा कि भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’, देश का अपना स्पेस स्टेशन ‘भारतीय स्टेशन’ और चांद पर मानव अभियान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि चांद पर उतरने का लक्ष्य वर्ष 2040 तक रखा गया है और अगले 10 से 20 वर्षों में यह क्षेत्र तेजी से विकसित होगा।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि ये लक्ष्य कठिन जरूर हैं, लेकिन आप जैसे युवाओं के लिए पूरी तरह संभव हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों के विस्तार से “रोजगार के विशाल अवसर” पैदा होंगे।
राकेश शर्मा के प्रसिद्ध शब्दों को दोहराते हुए शुक्ला ने कहा, “कक्षा से देखने पर आज भी हमारा भारत सारे जहां से अच्छा दिखता है।” उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।
शुक्ला ने कहा, “भारत का युवा वर्ग अत्यंत प्रतिभाशाली है। उन्हें केंद्रित रहना होगा, जिज्ञासु बने रहना होगा और कठोर परिश्रम करना होगा। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की जिम्मेदारी उन्हीं की है।”
उन्होंने बताया कि राकेश शर्मा के युग की तुलना में आज भारत ने एक संपूर्ण अंतरिक्ष यात्री पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर लिया है। उन्होंने कहा, “गगनयान और आने वाले मिशनों के जरिए भारत के बच्चे अब केवल अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना नहीं देखेंगे, बल्कि उसे यहीं देश में पूरा भी कर सकेंगे।”
शुक्ला ने कहा कि जब कोई एक व्यक्ति अंतरिक्ष जाता है, तो लाखों सपनों को उड़ान मिलती है। इसलिए ऐसे कार्यक्रमों का निरंतर जारी रहना बेहद आवश्यक है। अब आसमान ही सीमा नहीं रहा।
उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे ऐसी प्रणालियां विकसित करें जो 20-30 वर्षों तक टिकाऊ हों और भविष्य की तकनीकों के साथ सामंजस्य बैठा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि वे आगे और मिशनों में भाग लेने के इच्छुक हैं और एक ‘स्पेस वॉक’ करने का सपना देखते हैं, जिसके लिए उन्हें दो वर्ष का अतिरिक्त प्रशिक्षण लेना होगा।--------------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर