
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (हि.स.)। आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव गणपतराव जाधव ने एकीकृत स्वास्थ्य-देखभाल मॉडल की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। यहां गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए समन्वित, रोकथाम-आधारित और समग्र कार्रवाई की अत्यंत आवश्यकता है, जिसमें आयुष प्रणालियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बुधवार को हमदर्द लैबोरेटरीज द्वारा आयोजित आयुष कन्वेंशन 2025 को संबोधित करते हुए प्रतापराव जाधव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और नेतृत्व में, आयुष को देश और दुनिया में अभूतपूर्व पहचान मिली है। भारत की पारंपरिक चिकित्सा को अब दुनियाभर में विश्वसनीय और प्रमाण-आधारित पद्धतियों के रूप में अपनाया जा रहा है, जो रोकथाम और समग्र स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि हम परंपरा और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद को मजबूत करने, शोध-आधारित प्रथाओं को प्रोत्साहित करने, और देशभर में समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने हमदर्द लैबोरेटरीज और ऑल-इंडिया यूनानी तिब्बी कॉन्फ्रेंस को आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और आधुनिक चिकित्सा के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य-विमर्श को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
कन्वेंशन में, हमदर्द लैबोरेटरीज के चेयरमैन और प्रबंध ट्रस्टी अब्दुल मजीद ने कहा कि भारत में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन रहे हैं। अनुमान के मुताबिक ये हर साल करीब 5.8 मिलियन मौतों का कारण बनते हैं। इसलिए आयुष क्षेत्र को अपनी संस्कृति से जुड़े, वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित, रोकथाम वाले, सस्ते और पूरी तरह के समाधान देने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हमदर्द लैबोरेटरीज में हम मानते हैं कि यह सिर्फ एक मौका नहीं, बल्कि हमारा कर्तव्य भी है। पिछले कुछ सालों में हमने स्कूलों-कॉलेजों के साथ सहयोग बढ़ाया है, सबूत जुटाने में मदद की है, डॉक्टरों के लिए मार्केटिंग के काम मजबूत किए हैं और नए मैन्युफैक्चरिंग व क्वॉलिटी सिस्टम में पैसा लगाया है।
कन्वेंशन की शुरुआत यूनानी चिकित्सा की फैटी लिवर रोग, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज मेलिटस के प्रबंधन में भूमिका पर शोध सत्रों से हुई। इसमें शास्त्रीय सिद्धांतों को समकालीन शोध के साथ जोड़ा गया। इसके बाद ‘गैर-संचारी रोग प्रबंधन के लिए एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल: नीति, अभ्यास और साक्ष्य—आयुष रोडमैप 2030’ शीर्षक वाली उच्च-स्तरीय पैनल चर्चा हुई। पैनलिस्टों में उद्योग के विचारक दिग्गज शामिल थे जिनमें डॉ. मनोज नेसारी (पूर्व सलाहकार—आयुर्वेद, आयुष मंत्रालय), डॉ. काशीनाथ समगांधी (निदेशक, एमडीएनआईवाई), डॉ. एन. जहीर अहमद (महानिदेशक, सीसीआरयूएम, आयुष मंत्रालय), डॉ. एम. ए. कुमार (पूर्व उप सलाहकार—सिद्ध, आयुष मंत्रालय), डॉ. संजय गुप्ता (सचिव, नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी (एनसीएच)), पद्मश्री डॉ. मोहसिन वली (कार्डियोलॉजिस्ट, सर गंगा राम अस्पताल), और डॉ. नीना खन्ना (हेड, डर्मेटोलॉजी, अमृता अस्पताल; पूर्व प्रोफेसर एवं डीन (शैक्षणिक), एआईआईएमएस नई दिल्ली) शामिल थे।
इस आयोजन में हकीम अब्दुल हमीद पुरस्कार फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस भी प्रदान किया गया, जिसमें देशभर के मेधावी यूनानी छात्रों को सम्मानित किया गया। साथ ही, देश के 30 से अधिक यूनानी चिकित्सा महाविद्यालयों के संकाय सदस्यों तथा स्नातकोत्तर छात्रों को एक साथ लाया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी