

इंदौर/भोपाल, 11 दिसम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के इंदौर में हुए शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्पेशल कोर्ट इंदौर में मनी लांड्रिंग के तहत चालान पेश कर दिया है। यह शराब घोटाला शुरुआत में 49 करोड़ रुपये का था, लेकिन अब तक जांच में यह 71 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। ईडी इस केस में 70 करोड़ के बाजार मूल्य की संपत्तियां अटैच कर चुकी है। ईडी ने गुरुवार को जारी प्रेस रिलीज में यह जानकारी दी।
ईडी द्वारा जानकारी दी गई कि इंदौर के रावजी पुलिस स्टेशन में शराब ठेकेदारों के खिलाफ सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने के आरोप में दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। आरोपी ठेकेदारों पर सरकारी चालानों में जालसाजी और हेरफेर करने का आरोप है। इस केस में शराब ठेकेदारों के साथ ही अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आई थी। इसमें अधिकारियों की जांच भी विभाग स्तर पर जारी है। हालांकि ईडी ने अभी किसी भी अधिकारी को आरोपी नहीं बनाया है।
ईडी की पीएमएलए जांच में यह खुलासा जरूर हुआ है कि राजू दशवंत, अंश त्रिवेदी और अन्य शराब ठेकेदार जालसाजी और धोखाधड़ी में शामिल थे। इन पर आपराधिक षड्यंत्र का आरोप है। इससे पहले ईडी ने मुख्य आरोपी राजू दशवंत और अंश त्रिवेदी को गिरफ्तार किया था। दोनों जेल में हैं।
गौरतलब है कि घोटाले की शुरुआत करीब 8 साल पहले हुई थी, जब रावजी बाजार थाने में आबकारी विभाग ने 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई थी। उस समय कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया था, जिनकी विभागीय जांच धीमी गति से चलती रही और कई बाद में बहाल भी हो गए।
ईडी ने इंदौर में 49 करोड़ के आबकारी फर्जी चालान घोटाले में जांच के बाद 70 करोड़ की संपत्तियां अटैच की हैं। यह संपत्तियां इंदौर, मंदसौर और खरगोन में स्थित हैं। जांच के दौरान, ईडी इंदौर ने अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया था। इस दौरान 21.18 करोड़ रुपये मूल्य की 28 अचल संपत्तियों (पीओसी) को कुर्क किया गया था। इन संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है। आगे की जांच जारी है।
कैसे हुआ घोटाला?
2015 से 2018 के बीच इंदौर जिला आबकारी कार्यालय में शराब गोदामों से शराब उठाने के लिए 194 फर्जी चालानों का इस्तेमाल किया गया। बैंक में हजारों रुपयों के छोटे चालान जमा कराए गए, लेकिन चालान में बाद में लाखों की रकम दिखाकर गोदामों से ज्यादा शराब उठा ली गई और दुकानों पर बेची गई। इस घोटाले की शिकायत मिलने के बाद ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी। जांच के लिए ईडी ने आबकारी विभाग और पुलिस से कई जरूरी दस्तावेज मांगे थे, जैसे कि शराब ठेकेदारों के बैंक अकाउंट का ब्योरा और विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट। इसके बाद ईडी ने इंदौर में एक साथ शराब कारोबारी के 18 ठिकानों पर छापे मारे थे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर