मप्र का बालाघाट जिला नक्सलवाद से हुआ मुक्त, आखिरी बचे नक्सलियों दीपक और रोहित ने किया आत्मसमर्पण

युगवार्ता    11-Dec-2025
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नक्सलियों दीपक और रोहित ने किया सरेंडर


बालाघाट/भोपाल, 11 दिसम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में अंतिम बचे हार्डकोर नक्सली दीपक ने गुरुवार को बिरसा क्षेत्र के कोरका में अपने साथी रोहित के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही 90 के दशक से लाल आतंक का दंश झेल रहा बालाघाट जिला आधिकारिक तौर पर नक्सलवाद मुक्त हो गया है।नक्सल एएसपी आदर्शकांत शुक्ला ने बताया कि दीपक पर 29 लाख रुपये और रोहित पर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था। दोनों ने गुरुवार को कोरका कैंप पहुंचकर हथियार त्याग दिए और पुनर्वास की इच्छा जताई। एएसपी शुक्ला ने बताया कि बालाघाट जिला 1990 से नक्सलवाद से प्रभावित रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश को मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त करने की समय-सीमा तय की है, लेकिन बालाघाट ने इस लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले ही हासिल कर लिया है। दीपक और रोहित ने राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत आत्मसमर्पण किया है। उन्हें मौजूदा नीति के तहत आर्थिक सहायता, कौशल विकास प्रशिक्षण और सामाजिक पुनर्स्थापना का आश्वासन दिया गया है।आत्मसमर्पण करने वाला दीपक उर्फ सुधाकर उर्फ मंगल उइके वर्ष 1995 से नक्लसी संगठन से जुड़ा था। वह मलाजखंड दलम का डिप्टी कमांडर था और डीवीसीएम रैंक का माओवादी था। उसने अपने साथी रोहित एसीएम, दर्रेकसा एरिया कमिटी के साथ सार बटालियन सीआरपीएफ कैंप कोरका थाना में आत्मसमर्पण किया है। दीपक ने एक स्टेनगन भी जमा करवाई है। दीपक बालाघाट के ही ग्राम पालगोंदी का रहने वाला है। वह बेहद चालाक और रणनीतिकार माना जाता है, लेकिन बालाघाट पुलिस और सुरक्षाबलों की सघन सर्चिंग और लगातार नक्सलियों के सरेंडर से हारकर दीपक ने भी हथियार डाल दिए हैं। इसके साथ ही बालाघाट में नक्सलवादी दलम और उनसे जुड़े हार्डकोर माओवादी सभी का अंत हो गया है।बालाघाट जिले में नक्सलियों के आत्मसमर्पण की यह प्रक्रिया एक नवंबर को महिला नक्सली सुनीता के समर्पण से शुरू हुई थी। इसके बाद गत छह दिसंबर की देर रात करीब 10 नक्सलियों ने बालाघाट में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। इससे पहले जिले की नक्सली संगीता ने गोंदिया में और संपत ने छत्तीसगढ़ में हथियार त्यागकर मुख्यधारा में वापसी की थी।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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