आईआईटी खड़गपुर के बुधादित्य मुखर्जी को मिला ईएमबीओ वैश्विक अन्वेषक सम्मान

युगवार्ता    11-Dec-2025
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डॉ. बुधादित्य मुखर्जी


खड़गपुर, 11 दिसंबर (हि. स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विद्यालय (एसएमएसटी) के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. बुधादित्य मुखर्जी को यूरोपीय आणविक जीव विज्ञान संगठन (ईएमबीओ) ने वैश्विक अन्वेषक (ग्लोबल इन्वेस्टिगेटर) के रूप में चुना है। विश्व के विभिन्न देशों से चुने गए 12 प्रमुख वैज्ञानिकों में डॉ. मुखर्जी का चयन भारत के जीवन-विज्ञान अनुसंधान की अंतरराष्ट्रीय पहचान को नई ऊंचाई प्रदान करता है।

औषधीय दबाव संक्रमित मेजबान में लीशमेनिया की अनुकूलन क्षमता को बढ़ाता है और उसके संक्रमण-रुझान को बदलता है — यह स्पष्ट करता है कि किस प्रकार दवाओं का दबाव लीशमेनिया परजीवी की क्षमता, स्वरूप और संक्रमण की दिशा को प्रभावित करता है। यह अध्ययन औषधि-प्रतिरोध तथा रोगजनक - मेजबान अंतःक्रिया की वैज्ञानिक समझ को और गहराई प्रदान करेगा।

ईएमबीओ वैश्विक अन्वेषक तंत्र विश्व भर में उभरते हुए उत्कृष्ट शोध-नेताओं को सम्मानित करने वाला प्रतिष्ठित मंच है। इस वर्ष चिली, भारत, नाइजीरिया, सिंगापुर और ताइवान के वैज्ञानिकों का चयन किया गया है, जिनके शोध क्षेत्र कृषि में सूखा-सहिष्णुता से लेकर समुद्री जीव शैल-कोरल (स्टोनी कोरल) के जीन नियमन तक फैले हैं।

वैश्विक अन्वेषक के रूप में डॉ. मुखर्जी को विश्व के 800 से अधिक प्रमुख वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय सहयोग तंत्र, संस्थानों के बीच संयुक्त कार्यक्रमों, प्रशिक्षण अवसरों और शोध यात्राओं के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायता का लाभ मिलेगा।

ईएमबीओ की निदेशक फियोना वॉट के अनुसार, चयनित वैज्ञानिकों की नवोन्मेषी दृष्टि वैश्विक जीवन-विज्ञान समुदाय को नई ऊर्जा प्रदान करेगी।

आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि डॉ. बुधादित्य मुखर्जी का ईएमबीओ वैश्विक अन्वेषक के रूप में चयन संस्थान के लिए अत्यंत गौरव का विषय है। संक्रामक रोग जीवविज्ञान के क्षेत्र में उनका अभिनव कार्य वैश्विक वैज्ञानिक प्राथमिकताओं के अनुरूप है। मुझे विश्वास है कि उनका शोध भारत की अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक उपस्थिति को और सुदृढ़ करेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता

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