

उज्जैन, 14 दिसंबर (हि.स.)। आर्ट ऑफ लिविंग मुख्यालय (बेंगलुरु) से भगवान सोमनाथ के पुरातात्विक 11 अवशेषों (बाण लिंग) से निर्मित दो दिव्य शिवलिंगों का रविवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में आगमन हुआ। महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकालेश्वर की भोग आरती में ये शिवलिंग लाए गए। आरती के पश्चात दोनों शिवलिंग का गर्भगृह में पूजन किया गया। इसके पश्चात दोनों शिवलिंगों को जूना महाकाल मंदिर परिसर में कुछ समय के लिए दर्शनार्थियों के दर्शन के लिए रखा गया।
आर्ट ऑफ लिविंग के डायरेक्टर दर्शक हाथी एवं मध्य प्रदेश यात्रा प्रभारी मनीष सोनी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सतयुग में चन्द्रदेव द्वारा निर्मित सोमनाथ मंदिर का शिवलिंग महमूद गजनी के आक्रमण के पश्चात खंडित हो गया। अग्रिहोत्री पुरोहितों ने खंडित अवशेषों से 11 छोटे वाण शिवलिंग बनाकर पीढ़ियों तक गुप्त रूप से उनकी पूजा की। वर्ष 1924 में कांची शंकराचार्य के निर्देशानुसार सौ वर्ष पश्चात संरक्षक पुरोहित सीताराम शास्त्री ने ये शिवलिंग आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक रवि शंकर गुरुदेव को सौंप दिए। इसी क्रम में सभी शिवलिंगों का भारत भ्रमण किया जा रहा है। इनमें से दो शिवलिंग मध्य प्रदेश में दर्शन एवं भ्रमण के लिए लाए गए हैं, जिनके भ्रमण की शुरुआत श्री महाकालेश्वर मंदिर से की गई। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की ओर से महानिर्वाणी अखाड़ा श्री महाकालेश्वर मंदिर के महंत विनीत गिरी महाराज एवं सहायक प्रशासक आशीष फलवाडिया द्वारा यात्रा में सम्मिलित सभी सदस्यों का स्वागत एवं सत्कार किया गया।
उन्होंने बताया कि उज्जैन से यह यात्रा इंदौर जाएगी और आज शाम यहां गांधी हॉल में रुद्रपूजा होगी। इसके बाद 17 दिसंबर को यात्रा महू जाएगी और चक्की वाले महादेव मंदिर में सार्वजनिक पूजन होगा। यहां से 19 दिसंबर को शिवलिंगों का ओंकारेश्वर में भगवान ओंकार के साथ मिलन होगा। यात्रा यहां से आलीराजपुर, बुरहानपुर, भोपाल, बैतूल होते हुए जबलपुर जाएगी।
क्यों हैं दिव्य शिवलिंग
आर्ट ऑफ लिविंग की मोनल पटेल ने बताया कि बेंगलुरु से आने वाले यह शिवलिंग इस मायने में दिव्य हैं, क्योंकि यह सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के अवशेष से बने हैं। चुंबकीय प्रभाव के कारण जमीन से ऊपर रहने वाले इस ज्योर्तिलिंग को सन 1026 में महमूद गजनवी से नष्ट कर दिया था। शिवलिंग के टूटे अवशेषों को अग्निहोत्री ब्राह्मणों ने अपने पास सुरक्षित रख लिया था। इनकी संख्या 11 थीं। इन अवशेष को उन्होंने 1924 में कांची कामकोटि के तत्कालीन शंकराचार्य को सौंपा था। तब शंकराचार्य जी ने उनसे कहा था कि 100 साल बाद इन अवशेषों को बेंगलुरु में आश्रम स्थापित करने वाले वाले शंकर को सौंप देना। उनकी आज्ञा का पालन करते हुए पुरोहित सीताराम शास्त्री ने इन अवशेषों को आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर को सौंपा था। इन अवशेष से ही 11 शिवलिंग तैयार किए गए हैं। इनमें से 2 उज्जैन आए हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वैल
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर