
काठमांडू, 15 दिसंबर (हि.स.)। आगामी पांच मार्च को होने वाले प्रतिनिधि सभा सदस्य चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने सार्वजनिक निर्वाचन आचार संहिता–2082 में कुछ नए प्रावधान जोड़े हैं। नए प्रावधानों के अनुसार चुनाव से जुड़ा सभी खर्च और आय बैंक अथवा वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से ही करना होगा तथा प्रत्येक खर्च के बिल और रसीद सुरक्षित रखना अनिवार्य होगा। आयोग की विज्ञप्ति के अनुसार, चुनावी खर्च के स्रोत में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह व्यवस्था की गई है।
आचार संहिता के निर्वाचन खर्च संबंधी आचरण शीर्षक के अंतर्गत राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करते समय चुनाव में होने वाले अनुमानित खर्च और उसके स्रोत का विवरण भी प्रस्तुत करना होगा। उम्मीदवारों को चुनावी खर्च के लिए बैंक या वित्तीय संस्था में अलग खाता खोलकर उसी खाते से खर्च करना अनिवार्य होगा। साथ ही, खर्च करने के लिए उम्मीदवार की ओर से एक जिम्मेदार पदाधिकारी नियुक्त करना होगा। उस पदाधिकारी का नाम-पता सहित विवरण संबंधित निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन कार्यालय को सूचित करना भी जरूरी होगा।
प्रस्तावित आचार संहिता में यह भी उल्लेख है कि राजनीतिक दलों को चुनाव संबंधी खर्च के लिए अलग बैंक खाता खोलकर दल द्वारा नियुक्त जिम्मेदार पदाधिकारी के माध्यम से ही खर्च करना होगा। इसी तरह, 25 हजार रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता बैंक या वित्तीय संस्था के माध्यम से ही स्वीकार करनी होगी। किसी व्यक्ति या संस्था से स्वैच्छिक सहयोग के रूप में नकद राशि प्राप्त होने पर रसीद या भरपाई जारी कर उसे बैंक या वित्तीय संस्था में जमा कराना अनिवार्य होगा। आय-व्यय का पूरा विवरण तथा संबंधित बिल-भरपाई भी सुरक्षित रखनी होगी।
आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुसार आय और खर्च का विवरण जिला निर्वाचन कार्यालय या आयोग में प्रस्तुत करना होगा। यदि आयोग खर्च के बिल-भरपाई या बैंक खातों का विवरण प्रस्तुत करने का आदेश देता है, तो सभी मूल दस्तावेज जमा करना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त, निर्वाचन समाप्त होने के बाद निर्वाचन खर्च का विवरण सार्वजनिक कर प्रचलित चुनावी कानून में निर्धारित अवधि के भीतर आयोग या निर्वाचन कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास