जेन जी आंदोलन न्यायिक जांच के समक्ष नेपाली सेना के प्रधान सेनापति का बयान दर्ज

युगवार्ता    16-Dec-2025
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नेपाली सेना के प्रधान सेनापति जनरल अशोक राज सिग्देल


काठमांडू, 16 दिसंबर (हि.स.)। नेपाली सेना के प्रधान सेनापति जनरल अशोकराज सिग्देल ने जेन जी आंदोलन की जांच कर रहे केन्द्रीय आयोग के समक्ष बयान में कहा है कि सेना देश के वैधानिक एवं जिम्मेदार निकायों द्वारा निर्णय लिए बिना स्वयं से कोई कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है।

जांच आयोग के समक्ष बयान में प्रधान सेनापति ने कहा कि 8 सितंबर को हुई हताहतों की घटनाओं के कारण आम जनता में तीव्र आक्रोश फैल गया था और सुबह होते ही हालात काबू से बाहर हो गए थे।

सिग्देल के बयान में कहा गया, “कम समय में, इतने छोटे स्थान पर इस प्रकार की घटना होने के बाद अगले ही दिन सुबह से स्थिति असामान्य और नियंत्रण से बाहर हो गई थी। यदि सुबह से ही स्थिति नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लगाया गया होता, लेकिन उसे सुबह 10 बजे तक सामान्य मानकर छोड़ दिया गया, तो सभी को बाहर निकलने का मौका मिल गया और हालात और भी बिगड़ गए।”

उन्होंने यह भी कहा कि यदि सुबह करीब 10 बजे, जब स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ चुकी थी, उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाकर आपातकाल या इसी तरह का कोई कदम उठाया गया होता, तो स्थिति को संभाला जा सकता था। उनके बयान में कहा गया कि “देश के वैध और जिम्मेदार निकायों द्वारा निर्णय लिए बिना सेना स्वयं कार्रवाई नहीं कर सकती थी।”

सिग्देल ने अपने बयान में यह भी कहा कि कई स्थानों पर सैनिकों ने वरिष्ठ अधिकारियों और सरकारी निकायों की सुरक्षा के लिए बार-बार प्रयास किए तथा कठिन परिस्थितियों में फंसे कई पुलिसकर्मियों की जान बचाकर उनका उद्धार भी किया।

उनके बयान में यह भी कहा गया, “यदि यह मान लिया जाए कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी और सेना स्वयं तैनात हुई होती, तो बिना बल प्रयोग के हालात को नियंत्रित करना संभव नहीं था। बल प्रयोग से होने वाला नुकसान इससे कहीं अधिक भयावह हो सकता था, इसी कारण हमने संयम बरता।”

प्रधान सेनापति सिग्देल के साथ वरिष्ठ अधिकारियों की सुरक्षा से जुड़े तंत्र के प्रमुख सहित अन्य सैन्य अधिकारी भी आयोग के समक्ष बयान देने पहुंचे थे।

रविवार को आयोग के समक्ष दिए गए बयान में भी प्रधान सेनापति सिग्देल ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की संरचना और उसमें सेना की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित सुरक्षा परिषद में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, मुख्य सचिव और प्रधान सेनापति सदस्य होते हैं, जबकि रक्षा सचिव सदस्य-सचिव के रूप में रहते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास

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