
कोलकाता, 16 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय कीटविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई), कोलकाता के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नवनीत सिंह को वर्ष 2024-25 के लिए प्रतिष्ठित प्रोफेसर टी.एन. अनंतकृष्णन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार प्रो. टी.एन. अनंतकृष्णन फाउंडेशन ने भारतीय कीट विज्ञान सोसायटी के सहयोग से प्रदान किया।
यह सम्मान बेंगलुरु में आयोजित “स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण में कीटों की भूमिका” विषयक राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम के दौरान प्रदान किया गया। यह पुरस्कार भारत के प्रख्यात कीटविज्ञानी स्वर्गीय प्रो. टी.एन. अनंतकृष्णन की स्मृति में स्थापित किया गया है और देश में कीटविज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिकों को दिया जाता है।
डॉ. नवनीत सिंह तितलियों और पतंगों (लेपिडोप्टेरा) के वर्गिकी विशेषज्ञ के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हैं। वर्ष 2010 से अब तक उनके शोध कार्यों ने भारत की जैव विविधता की समझ को नई दिशा दी है। उन्होंने एक नई सुपरफैमिली और एक नई फैमिली का वर्णन किया है, साथ ही 20 नए वंश और 191 नई प्रजातियों की पहचान की है। उनके नाम 230 से अधिक शोध पत्र, पांच मोनोग्राफ तथा ‘भारत की लेपिडोप्टेरा का सचित्र मार्गदर्शक’ नामक महत्वपूर्ण पुस्तक दर्ज है, जिसमें 101 कुलों का विवरण दिया गया है।
जेडएसआई की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. सिंह का कार्य जैव विविधता संरक्षण के लिए एक मजबूत वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है और आधुनिक विज्ञान में वर्गिकी के महत्व को रेखांकित करता है। डॉ. सिंह के हालिया शोध ने पतंगों की पारिस्थितिक भूमिका पर विशेष प्रकाश डाला है। उनके अध्ययन में 91 प्रजातियों की स्थिर पतंगों और 16 प्रजातियों की बाज पतंगों को महत्वपूर्ण परागणकर्ता के रूप में चिन्हित किया गया है। उनके निष्कर्षों के अनुसार, 37 विशिष्ट पतंगा प्रजातियां 11 आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पौधों के परागण में अहम भूमिका निभाती हैं, जिससे कृषि और खाद्य सुरक्षा को लाभ मिलता है।
इसके अलावा डॉ. सिंह ने भारत की जैव विविधता को डिजिटल रूप में संरक्षित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने जेडएसआई की आधिकारिक वेबसाइट पर 13 हजार 124 प्रजातियों की ऑनलाइन सूची विकसित की है, जिसका मुद्रित संस्करण प्रकाशन की प्रक्रिया में है। यह संसाधन देश-विदेश के शोधकर्ताओं और संरक्षण विशेषज्ञों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता