
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (हि.स.)। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की आगामी भारत यात्रा के दौरान एक ओर जहां पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 लड़ाकू विमानों और हवाई प्रतिरक्षा प्रणाली एस-400 की खरीद के साथ जेट इंजन के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं संयुक्त निर्माण तथा छोटे परमाणु संयंत्रों की स्थापना पर समझौते होने की संभावना है वहीं दोनों देश अमेरिकी टैरिफ के कारण द्विपक्षीय व्यापार में आ रहीं बाधाओं को दूर करने के लिए किसी फॉर्मूले पर सहमति दे सकते हैं।
गुरुवार को शुरू हो रही रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने वीडियो लिंक के माध्यम से भारतीय पत्रकारों के साथ एक प्रेस वार्ता में इसकी पुष्टि की। इसका आयोजन रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने किया था। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा कि रूसी नेतृत्व रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रुख का आदर करता है और युद्ध समाप्त करने के लिए अमेरिकी योजना का भी समर्थन करता है लेकिन यूरोपीय नेता चाहते हैं कि यह युद्ध यूक्रेन के अंतिम नागरिक की मौत होने तक बंद ना हो और इसीलिए वे यूक्रेन को लगातार वित्तीय एवं सैनिक मदद दे रहे हैं।
पेस्कोव ने कहां, रूस-भारत संबंध केवल राजनयिक प्रोटोकॉल और व्यापार समझौतों का एक मानक सेट नहीं है, बल्कि यह उससे भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। हमारा द्विपक्षीय संबंध आपसी समझ, साझीदारी और वैश्विक मामलों की साझा दृष्टि और अंतरराष्ट्रीय कानून, कानून के शासन और एक दूसरे के हितों को ध्यान में रखने की क्षमता के विशाल तंत्र की गहरी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह हमारे संबंधों की एक बहुत ही महत्वपूर्ण विशेषता है। हमें गर्व है कि हम अपने भारतीय मित्रों के ऐतिहासिक विकास के दौरान उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर सहयोग कर रहे हैं। हमारे आपसी संबंधों की यह पृष्ठभूमि, हमें विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग विकसित करने का एक बहुत व्यापक परिप्रेक्ष्य देती है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 4 और 5 दिसंबर को भारत की यात्रा, भारत और रूस के नेतृत्व के लिए द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करने का एक महत्वपूर्ण मौका होगा।
क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा कि हम आजकल एक बहुत ही दोस्ताना रुख के लिए भारत के बहुत आभारी हैं। रूसी तेल खरीदने के कारण भारत को अमेरिका की ओर से ऊंचे आयात शुल्क (टैरिफ) का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि रूस, सैद्धांतिक रूप से भारत एवं अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों के बारे में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता है लेकिन टैरिफ के कारण पड़ रहे असर को निष्प्रभावी करने के लिए बुनियादी व्यापारिक ढांचे में ऐसे बदलाव करने होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देश ऐसे मसौदे पर काम कर रहे हैं हालांकि वह सार्वजनिक रूप से इस बारे में और अधिक कुछ नहीं कहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, हम समझते हैं कि भारत पर दबाव है। यही कारण है कि हमें सावधानी पूर्वक अपने व्यापारिक रिश्ते की एक ऐसी डिजाइन बनानी होगी जो किसी भी तीसरे देश से आने वाले किसी भी प्रभाव से मुक्त हो। हम जानते हैं कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को परिभाषित करने में बहुत दक्ष है। हम भारत की इस विशेषता की प्रशंसा करते हैं।
पेस्कोव ने कहा, भारत और फिर अमेरिका के बीच टैरिफ, दरअसल भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों का सवाल है, हमें जो चिंता है वह यह है कि हम भारत के साथ अपने द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा को जारी रखने और बढ़ाने जा रहे हैं, किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करने दे सकते हैं। यह तथ्य कि दोनों देशों के बीच बड़ी मात्रा में व्यापार का भुगतान राष्ट्रीय मुद्राओं में किया जा रहा है, इस व्यापार को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा, हमें अपने व्यापार की मात्रा और अपने व्यापारिक बातचीत को इस तरह से व्यवस्थित करना होगा जो तीसरे देशों से प्रभावित नहीं हो सकता है। लगभग सभी, हमारे व्यापार संबंधों की पूरी मात्रा का भुगतान राष्ट्रीय मुद्राओं द्वारा किया जा रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस प्रकार हम अपने व्यापार को सुरक्षित कर रहे हैं। हम दोनों देशों, रूस और भारत की अपनी संप्रभुता को सुरक्षित कर रहे हैं और हम अपने व्यापार सहयोग को सुरक्षित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एवं रुस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर का है जिसमें भारत से रूस को करीब पांच अरब डॉलर का निर्यात होता है। हालांकि दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार 2030 में 100 अरब डॉलर तक ले जाने का संकल्प लिया है। उन्होंने माना कि भारत रूस व्यापार रूस के पक्ष में असंतुलित है और भारत से अधिक आयात के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत हो रही है। दोनों नेताओं के बीच इस पर भी चर्चा होगी।
पेस्कोव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि रूस भारत से आयात बढ़ाने पर विचार कर रहा था और इसके लिए रूसी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान आयातकों के एक फोरम की बैठक भी होगी जिसका उद्देश्य इस मकसद को पूरा करने के तरीके खोजना होगा। उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि हम भारत से खरीदने की तुलना में बहुत अधिक बेच रहे हैं। हम जानते हैं कि हमारे भारतीय मित्र इसके बारे में चिंतित हैं और हम और वैसे, हम संयुक्त रूप से भारत से रूस में आयात बढ़ाने की उसकी संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। हम अपने भारतीय समकक्षों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि आयात की जाने वाली उन वस्तुओं की मात्रा को बढ़ाने के तरीके खोज सकें जिन्हें हम भारत से खरीद सकते हैं, न केवल सामान बल्कि शायद सेवाएं भी।
पेस्कोव ने भारत-रूस रक्षा सहयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि इस सहयोग के लिए आगे उज्ज्वल भविष्य है। हम संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देशों के आधार पर अपने भारतीय मित्रों और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के साथ बहुत करीबी बातचीत कर रहे हैं। हम अपने विचारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं और हम यह पाते हैं कि वास्तव में अधिकांश क्षेत्रों में हमारे विचार मेल खाते हैं। उन्होंने कहा, जहां तक रक्षा उद्योग में हमारा सहयोग है तो प्रसिद्ध ब्रह्मोस मिसाइलों को याद किया जाता है। यह केवल उत्पादन नहीं है या यह केवल खरीदने या बेचने का कार्य नहीं है, यह उच्च प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान है और यह वास्तव में सहयोग के इस क्षेत्र में एक उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। हम कई प्रकार की बहुत जटिल प्रणालियों को विकसित कर रहे हैं। इस मायने में निश्चित रूप से, हमारे पास क्षमताएं हैं। हम इसे अपने भारतीय दोस्तों, अपने अनुभव के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं।
जेट इंजन की खरीदारी को लेकर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रूस भारत को न केवल जेट इंजन बल्कि जेट इंजन की तकनीक देना चाहता है और संयुक्त रूप से विनिर्माण करने का भी इच्छुक है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता ने एक सवाल पर कहा कि रूसी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान एस400 लंबी दूरी की विमान रोधी मिसाइलों की बिक्री एजेंडे में हो सकती है। इस पर चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हमारा सैन्य उद्योग बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है। भारतीय सशस्त्र बलों में रूसी साजोसामान 36 प्रतिशत हैं और उम्मीद है कि यह जारी रहेगा। रूस को भारत द्वारा पांचवीं पीढ़ी के एसयू-57 स्टेल्थ फाइटर के अधिग्रहण की संभावना पर भी चर्चा करने की उम्मीद है। एसयू-57 दुनिया का सबसे अच्छा विमान है। सुखोई-57 एजेंडे में होगा।
क्रेमलिन के प्रवक्ता पेस्कोव ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा पर एक समझौते की संभावना है। उन्होंने कहा, छोटे रिएक्टर के लिए एक प्रस्ताव होगा। रूस के पास महत्वपूर्ण तकनीकी छोटे और लचीले रिएक्टर हैं। रूस के पास छोटे रिएक्टरों के उत्पादन का शानदार अनुभव है। हम आपसी निवेश, संयुक्त निवेश का आदान-प्रदान कर रहे हैं और यह इस तरह के सहयोग को भारत के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमारे देशों के लिए और भी अधिक मूल्यवान बनाता है। उन्होंने कहा कि हम भारत में कुडनकुलम में असैन्य परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना में गहराई से शामिल हैं और इसलिए हम इस परियोजना को जारी रखने की उम्मीद कर रहे हैं।
पेस्कोव ने हाल के दिल्ली विस्फोटों की भी निंदा की और आतंकवाद से लड़ने के लिए सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा, हम आतंकवाद की निंदा करते हैं और हमारे देश ने बहुत कुछ झेला था। हम लोगों को खोने के दर्द को जानते हैं। भारत ने कई बार इस खतरे का सामना किया है और हम आतंकवाद की निंदा करते हैं। आतंकवाद से निपटने का एकमात्र तरीका अंतरराष्ट्रीय सहयोग है।
रूस यूक्रेन युद्ध के बारे में भारत के रुख और अमेरिकी शांति प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर पेस्कोव ने कहा कि रूसी नेतृत्व रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रुख का आदर करता है और भारत के प्रयासों को सकारात्मक रूप से देखता भी है। युद्ध समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना का भी समर्थन करता है लेकिन दिक्कत यह है कि यूरोपीय नेता चाहते हैं कि यह युद्ध यूक्रेन के अंतिम नागरिक की मौत होने तक बंद ना हो और इसीलिए शांति के प्रयासों को अनदेखा करके वे यूक्रेन को लगातार वित्तीय एवं सैनिक मदद दे रहे हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल दुनिया में यूरोप एवं कुछ पश्चिमी नेता रूस के रुख को सुनना और समझना नहीं चाहते हैं। हमारा मानना है कि यूक्रेन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटाे) में शामिल नहीं हो। यह हमारे दरवाजे पर एक खतरा है लेकिन इसे कोई समझना नहीं चाहता है। भारत रूस की बात को धैर्य पूर्वक सुनता है और उसे समझता है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर 4 से 5 दिसंबर तक भारत की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। यात्रा के दौरान पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार