
इस्लामाबाद, 24 दिसंबर (हि.स.)। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक और अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को आज एक अदालत से कुछ राहत मिल गई। संघीय राजधानी इस्लामाबाद की एक स्थानीय अदालत ने इमरान और बुशरा बीबी की नौ मई के मामलों और पांच अन्य मामलों में अंतरिम जमानत की मियाद बढ़ा दी। अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री को अगली सुनवाई में खुद या वीडियो लिंक के जरिए पेश होने का निर्देश दिया। खान रावलपिंडी जेल (आदियाला जेल) मे्ं लंबे समय से बंद हैं। उन्हें कई मामलों में सजा हो चुकी है।
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश मोहम्मद अफजल माजोका ने गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। एडवोकेट शम्सा कयानी इमरान और बुशरा बीबी की ओर से पेश हुईं। हालांकि, इमरान की गैर मौजूदगी के कारण जमानत याचिकाओं पर बहस आगे नहीं बढ़ पाई।
नतीजतन, अदालत ने अंतरिम जमानत अवधि बढ़ा दी और सुनवाई 27 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
नौ मई के मामलों के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ हत्या की कोशिश और कथित फर्जी रसीदें जमा करने सहित अन्य मामले भी दर्ज हैं। बुशरा बीबी के खिलाफ तोशाखाना उपहारों से संबंधित कथित फर्जी रसीदें जमा करने का एक अलग मामला भी है। अदालत ने इस बीच बुशरा बीबी की गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिका पर उनकी अंतरिम जमानत अवधि बढ़ा दी और मामले को 27 जनवरी तक के लिए टाल दिया।
इस बीच पीटीआई के वकील खालिद यूसुफ चौधरी को तोशाखाना मामले में हालिया सजा के खिलाफ अपील दायर करने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी के कागजात पर इमरान खान के हस्ताक्षर लेने के लिए उनसे मिलने की अनुमति एक बार फिर नहीं दी गई। पीटीआई ने तोशाखाना-2 मामले में पार्टी संस्थापक के अपील के अधिकार में जानबूझकर रुकावट डालने की निंदा की। पीटीआई ने कहा कि पंजाब जेल नियम, 1978 के नियम 178 और 179 के तहत हर कैदी को अपने वकील से मिलने, कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने और अपील दायर करने का कानूनी अधिकार है और जेल अधिकारियों को इस संबंध में बाधाएं पैदा करने का अधिकार नहीं है। पार्टी ने आगे आरोप लगाया कि अपील के अधिकार से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 10-ए, 4, 9, और 25 का उल्लंघन है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद